आइए उत्तराखंड की सियासत से निकलकर महाराष्ट्र की बात कर लिया जाए. आज महाराष्ट्र में सुबह और दोपहर दो राजनीतिक दलों के बीच बनते, बिगड़ते संबंधों की दो अलग-अलग घटनाएं देखने को मिली. दोनों नेताओं के बीच सुबह शुरू हुई ‘दोस्ती’ दोपहर तक मानसून सत्र ने ‘पानी फेर’ दिया. जी हां हम बात कर रहे हैं भाजपा और शिवसेना की . कभी-कभी लगता है यह दोनों सियासी दल ‘हाथ’ मिलाने जा रहे हैं लेकिन फिर ‘राहें’ जुदा हो जाती हैं.
‘पिछले महीने जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की थी तब अटकलें लग रही थी कि एक बार फिर से दोनों ‘करीब’ आ सकते हैं’. लेकिन उसके दूसरे दिन ही शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत का बयान इशारा कर गया कि फिलहाल भाजपा और शिवसेना एक ‘मंच’ पर नहीं आ रहे हैं. उसके बाद कुछ और मौके आए जब दोनों दलों में ‘नरमी’ देखी गई.
फिर कुछ दिनों बाद शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में मोदी सरकार की आलोचना भी की गई. सोमवार को एक बार फिर महाराष्ट्र में ‘मानसून सत्र’ शुरू होने से पहले एक ऐसी खबर आई जो ‘हलचल’ मचा गई. जिसके बाद भाजपा और शिवसेना के रिश्तों में ‘मिठास’ दिखने लगी. बता दें कि महाराष्ट्र में आज से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हुआ .
दो दिन के इस विशेष सत्र से पहले विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के एक बयान ने राज्य की राजनीति में ‘सरगर्मियां’ बढ़ा दी . ‘फडणवीस ने कहा कि शिवसेना हमारी शत्रु नहीं है, वैचारिक मतभेद हैं’, राजनीति में सब कुछ स्थाई नहीं होता’. देवेंद्र फडणवीस के शिवसेना के प्रति नरम रुख के बाद राज्य में कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं की ‘धड़कनें’ बढ़ा दी .
फडणवीस के इस बयान के बाद शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी ‘दोस्ताना’ अंदाज में जवाब दिया. राउत ने कहा कि ‘हम भारत-पाकिस्तान जैसे नहीं हैं. आमिर खान और किरण राव को देखिए, हम उनके जैसे हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना की ‘राजनीति राहें’ भले ही अलग है लेकिन हमारी ‘दोस्ती’ अभी भी बरकरार है. यहां तक सब कुछ ठीक चल रहा था.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार