अपनी ब्रांडिंग करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार का कोई जवाब नहीं. पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को जनता के सामने अंदाज-ए-बयां करने में महारथ हासिल है. ‘पीएम मोदी का अपना ही सुपरहिट चुनावी मंत्र सबका साथ सबका विकास का किसान मजाक उड़ा रहे हैं’.
यह भी सही है कि केंद्र की भाजपा सरकार के नए कृषि कानून को लागू करने पर अन्नदाता पीएम मोदी को ही गुनाहगार मान रहा है. अब बात करते हैं महीने के आखिरी रविवार की. आज 27 दिसंबर को साल 2020 का आखिरी संडे है. हर माह के आखिरी रविवार को पीएम मोदी रेडियो पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से देशवासियों को संबोधित करते आ रहे हैं.
‘आज जब पीएम मन की बात कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे तो उनका अंदाज ए बयां फीका नजर आया’, बता दें कि पीएम ने कार्यक्रम के जरिए अभी तक सबसे कम केवल 30 मिनट देश की जनता को संबोधित किया’. इससे पहले प्रधानमंत्री कम से कम एक घंटे तक संबोधित किया करते थे.
‘आज पीएम रेडियो कार्यक्रम के दौरान नाराज चल रहे किसानों की वजह से अपनी बात कहने में मन नहीं लगा पाए’. पीएम ने कोरोना वायरस, लॉकडाउन, आत्मनिर्भर भारत अभियान, स्वच्छ भारत अभियान, तेंदुओं-शेरों की आबादी, समुद्र तटों की सफाई और लोगों के उन्हें भेजे गए पत्र आदि का जिक्र किया.
‘पीएम ने मन की बात में एक महीने से जारी किसान आंदोलन पर एक शब्द नहीं कहा, दूसरी ओर पीएम मोदी के संबोधन के दौरान राजधानी दिल्ली में कृषि कानून के विरोध में जमा देशभर के किसानों ने थाली और ताली बजाकर विरोध किया’.
शंभू नाथ गौतम