देश में रिकवरी होती इकोनॉमी और बढ़ते जीएसटी कलेक्शन के बीच एक चिंताजनक खबर आई है. अप्रैल के महीने में बेरोजगारी दर में इजाफा हुआ है.
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Centre for Monitoring Indian Economy) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में बेरोजगारी दर मार्च के 7.60 फीसदी के मुकाबले बढ़कर 7.83 फीसदी हो गई है. इस दौरान ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरों में ज्यादा बेरोजगारी बढ़ी है. इसके अलावा श्रमिक भागीदारी दर में भी कोविड-19 पूर्व स्थिति से पहले की तुलना में काफी गिरी है.
सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल के महीने में बेरोजगारी दर मार्च के 8.28 फीसदी के मुकाबले बढ़कर 9.22 फीसदी हो गई है. वहीं ग्रामीण इलाकों में अलग असर दिखा है. यहां पर अप्रैल में बेरोजगारी दर , मार्च के मुकाबले घटी है.
ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी मार्च के 7.29 फीसदी से गिरकर अप्रैल में 7.18 फीसदी पर आ गई है. रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा बेरोजगारी हरियाणा और राजस्थान में दर्ज की गई है. हरियाणा में यह 34.5 फीसदी और राजस्थान में 28.8 फीसदी है.
अर्थशास्त्रियों के अनुसार उम्मीद के अनुसार कम इकोनॉमिक रिकवरी और बढ़ती कीमतों की वजह से नौकरियों पर असर पड़ा है. मार्च में उपभोक्ता महंगाई दर 17 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचकर 6.95 फीसदी हो गई है.
सीएमआईई की रिपोर्ट एक और अहम आंकड़ा पेश करती है. इसके तहत श्रमिक भागीदारी दर अभी भी कोविड-19 से पहले की स्थिति पर नहीं पहुंची है. उसके अनुसार कामगारों में नौकरी ढूढ़ने वालों की मांग मार्च 2022 में 39.5 फीसदी रह गई है. जबकि मार्च 2019 में यह 43.7 फीसदी थी. इसका सीधा मतलब है कि बाजार में लोग नौकरी नहीं ढूढ़ रहे हैं यानी उन्होंने अब जॉब सर्च करना बंद कर दिया है.