पीएम मोदी ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया की 100वीं जयंती पर 100 रूपये के विशेष स्मारक सिक्के का विमोचन किया.
उन्होंने कहा कि विजयाराजे सिंधिया जी ने अपना जीवन गरीबों के लिए समर्पित किया. उनके लिए राजसत्ता नहीं बल्कि जन सेवा अहम थी.
नारी शक्ति के बारे में वो कहती थी कि जो हाथ पालने का झुला सकते हैं, तो वे विश्व पर राज भी कर सकते हैं. आज नारी शक्ति हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और देश का नाम रोशन कर रही हैं. विजयाराजे सिंधिया एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व थी.
साधना, उपासना , भक्ति उनके अन्तर्मन में रची बसी थी. जेल में रहते हुए उन्होंने कहा था कि अपनी भावी पीढ़ियों को सीना तान कर जीने की प्रेरणा मिले इस उद्देश्य से हमें आज की विपदा को धैर्य के साथ झेलना चाहिए.
पीएम मोदी ने कहा कि कोई भी साधारण व्यक्ति जिसके अदंर योग्यता , प्रतिभा व देश की सेवा की भावना है, वह इस लोकतंत्र में भी सत्ता को सेवा का माध्यम बना सकता है.
जन सेवा के लिए किसी खास परिवार में ही जन्म लेना जरूरी नहीं हैं. राष्ट्र के भविष्य के लिए राजमाता ने अपना वर्तमान समर्पित कर दिया था.
उन्होंने पद एवं प्रतिष्ठा के लिए न जीवन जिया और न ही राजनीति की. स्वतंत्रता आन्दोलन से लेकर आजादी के कई दशकों तक भारतीय राजनीति के हर अहम पड़ाव की वे साक्षी रहीं.
पीएम मोदी ने कहा कि विजया राजे जी ने एक पुस्तक में लिखा है कि एक दिन ये शरीर यहीं रह जायेगा. आत्मा जहां से आई है, वहीं चली जायेगी. शून्य से शून्य में, स्मृतियां रह जायेंगी.
अपनी इन स्मृतियों को मैं उनके लिए छोड़ जाऊँगी. जिनसे मेरा सरोकार रहा है, जिनकी मैं सरोकार रही हूं. मैं सौभाग्यशाली हूं कि उनकी स्मृति में मुझे विशेष स्मारक सिक्के के अनावरण का अवसर मिला.
इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, सीएम रावत, अन्य राज्यों के राज्यपाल, सीएम एवं अन्य जन प्रतिनिधिगण जुड़े थे.