उत्तराखंड की आध्यात्मिक और योग के साथ भारतीय सैन्य अकादमी (इंडियन मिलिट्री एकेडमी) के रूप में भी दुनिया भर में पहचान है. देहरादून में स्थित आईएमए की स्थापना देश की आजादी से पहले की गई थी. अकादमी में भारत समेत दुनिया के कई देशों से कैडेट्स सैन्य प्रशिक्षण लेने आते हैं.
शुक्रवार को आईएमए ने अपना 89वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया. वार मेमोरियल पर शहीद सैन्य अफसरों को श्रद्धांजलि दी गई. साथ ही भारतीय सैन्य अकादमी में बेहतर कार्य करने वाले सिविल स्टाफ को समादेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने सम्मानित किया.
इस मौके पर जनरल हरिंदर सिंह ने कहा कि देश-विदेश में भारतीय सैन्य अकादमी ने अलग मुकाम हासिल किया है. इसका श्रेय अकादमी में तैनात सभी अधिकारियों, जवानों व सिविल स्टाफ को जाता है. उन्होंने सिविल स्टाफ से इसी जज्बे के साथ कार्य करते रहने का आह्वान किया.
सुरक्षा और सतर्कता के साथ ही अनुशासन की सीख भी दी. इस दौरान अकादमी के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, जवान व अन्य कर्मचारी भी उपस्थित रहे. बता दें कि एक अक्टूबर 1932 को 40 जेंटलमैन कैडेट्स के साथ अकादमी शुरू की गई थी. अब इसकी क्षमता 1650 कैडेट तक है.
पहले बैच में सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले तीन कैडेट्स बाद में तीन देशों के सेना प्रमुख बने. 1932 को ब्रिगेडियर एलपी कालिंस अकादमी के पहले कमांडेंट बने. वर्ष 1947 में बिग्रेडियर ठाकुर महादेव सिंह आईएमए के पहले भारतीय कमांडेंट बने.
वहीं जनवरी 1949 में आईएमए आर्म्ड फोर्सेज अकादमी के रूप में स्थापित हुई. आईएमए में 34 देशों के कैडेट्स को भी सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है. अब तक अकादमी से 63,381 कैडेट पास आउट हो चुके हैं.