137 दिनों बाद 22 मार्च 2022 को भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत में वृद्धि होनी शुरू हुई. तब से तेल विपणन कंपनियां तेल की कीमत लगभग 10 रुपये प्रति लीटर बढ़ा चुकी हैं.
दिल्ली में पेट्रोल 105.41 रुपये और डीजल 96.67 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है. ऐसे में लोग ईंधन के दाम में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं. लेकिन क्या केंद्र सरकार जनता पर हालिया बढ़ोतरी के प्रभाव को कम करने के लिए ईंधन पर टैक्स में कटौती करेगी?
इकोनॉमिक टाइम्स ने इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के हवाले से कहा कि, ‘सरकार ईंधन पर टैक्स को कम करने के मूड में नहीं है. सरकार चाहती है कि राज्य की तेल कंपनियां इस झटके को जितना सहन कर सकती हैं, करें. वित्त मंत्रालय ने पेट्रोल और डीजल पर शुल्क में कटौती के लिए तेल मंत्रालय के प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है.’
हाल ही में वित्त और तेल मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ-साथ राज्य द्वारा संचालित तेल विपणन कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों की मीटिंग हुई. अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमत में वृद्धि से निपटने की योजना पर यह मुलाकात हुई थी. ईंधन पर शुल्क में कटौती के प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने विचार नहीं किया.
मालूम हो कि पिछली बार 6 अप्रैल 2022 को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद से, कीमतें अपरिवर्तित हैं. हालांकि, उद्योग के अधिकारियों के अनुसार, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में अभी भी पेट्रोल पर लगभग 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 18 रुपये का अंतर है.
ईंधन की रिटेल कीमत में एक बड़ा हिस्सा सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और राज्यों द्वारा लगाया गया वैल्यू एडिड टैक्स (VAT) है. राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल की खुदरा कीमत में 42 फीसदी और डीजल की कीमत में 37 फीसदी टैक्स है.
पिछले 8 सालों में ईंधन पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में भारी वृद्धि हुई है. अप्रैल 2014 में 9.48 रुपये प्रति लीटर से पेट्रोल पर यह 27.9 रुपये प्रति लीटर हो गया है. वहीं डीजल पर शुल्क 3.18 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 21.8 रुपये हो गया है. इसके साथ, पेट्रोल और डीजल से केंद्रीय उत्पाद शुल्क संग्रह वित्त वर्ष 2020 में 1.78 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2021 में 3.72 लाख करोड़ रुपये हो गया है.