देहरादून| मौसम विभाग ने 14 फरवरी तक की जो मौसम भविष्यवाणी जारी की है, उसमें साफ तौर पर चेतावनी है कि उत्तराखंड में ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी और मैदानी हिस्सों में बारिश हो सकती है. 14 तारीख को ही राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए 70 सीटों पर मतदान होना है.
पिछले दिनों जितनी बर्फ गिर चुकी है, उसके बाद हालात ये हैं कि यहां चुनाव प्रचार तो बुरी तरह बाधित रहा ही है, कई ग्रामीण और पहाड़ी बूथों तक पहुंचना मुहाल हो चुका है. उत्तराखंड में कुल 11,647 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं, जिनमें से 60% से ज़्यादा बूथों तक पहुंचने के लिए पोलिंग पार्टियों को ही 1 से 20 किलोमीटर तक पैदल चलने की नौबत बन गई है.
उत्तराखंड की कुल 70 विधानसभाओं में मतदान करवाने के लिए कितनी मुश्किल खड़ी होने वाली है, इसका अंदाज़ा राज्य की मुख्य चुनाव अधिकारी सौजन्या के बयान से मिलता है. आयोग ने माना है कि 7,413 बूथ ऐसे चिह्नित किए गए हैं, जहां मतदान करवाने जाने वाली टीमों को 1 से 20 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ रहा है.
सौजन्या ने कहा, ‘सभी बूथों पर ठीक तरह से मतदान हो सके, इसके लिए पोलिंग टीमें सभी ज़रूरी इंतज़ाम कर रही हैं. हम मौसम के कारण बनने वाली स्थितियों के बारे में भी पूर्व सूचनाएं जुटा रहे हैं, ताकि उस हिसाब से तैयारियां की जा सकें.’
तो क्या बहुत कम होगी वोटिंग?
पोलिंग टीमों के सामने मौसम बड़ी चुनौती बन चुका है. 766 ऐसे बूथ चिह्नित किए गए हैं, जहां बर्फबारी से बुरा असर पड़ सकता है. मौसम विभाग ने चूंकि 14 फरवरी के लिए बर्फबारी और बारिश का अनुमान दिया है इसलिए वोटरों के सामने भी पोलिंग बूथ तक पहुंचने की समस्या पेश आने वाली है. माना जा रहा है कि अगर मौसम भविष्यवाणी के हिसाब से हालात बने, तो मतदान का आंकड़ा काफी कम रह सकता है.
बूथ तक पहुंचना कितना मुश्किल हुआ?
मौसम के साथ ही पहाड़ों का मुश्किल रूट भी पोलिंग टीमों के लिए चुनौती बना हुआ है. एनआईई की एक रिपोर्ट के मुताबिक कम से कम 9 ऐसे बूथ हैं, जहां टीमों को 15 से 20 किमी और 5 बूथों के लिए 14 से 15 किमी पैदल चलना पड़ेगा.
छह बूथ ऐसे हैं, जहां पहुंचने के लिए टीमों को 12 से 14 किमी चलना पड़ेगा. इसी तरह, आंकलन में बताया गया है कि 106 बूथों के लिए 5-6 किमी, 195 के लिए 4-5, 290 के लिए 3-4, 508 के लिए 2-3 और 845 बूथों के लिए 1-2 किमी तो चलना ही पड़ेगा.
कहां कम होती है वोटिंग?
चुनाव आयोग ने हर विधानसभा क्षेत्र में ऐसे बूथ भी चिह्नित किए हैं, जहां सबसे कम मतदान होना 2017 चुनाव में देखा गया था. भीमताल विधानसभा के कौंटा बूथ पर 1.35%, धारचूला के क्वारीजिमिया बूथ पर 1.94% और रानीखेत के पस्तोरावार बूथ पर 7.77% ही मतदान हुआ था. इसके उलट सबसे ज़्यादा 99.21% मतदान हरिद्वार ज़िले की पिरान कलियर सीट के हलवा खेड़ी बूथ पर हुआ था. ज़िलों के हिसाब से अल्मोड़ा, टिहरी और पौड़ी में सबसे कम मतदान होना पाया गया. अब आयोग का कहना है कि कम वोटिंग वाले इलाकों पर ज़्यादा फोकस है.
साभार-न्यूज 18