आजादी साथ मिली तो संवैधानिक बनने में भारत से 23 साल कैसे पिछड़ा पाकिस्तान, जानिए

15 अगस्‍त 1947 की आधी रात को भारत के टूटने से पाकिस्तान बना. ब्रिटिश लॉर्ड माउंटबेटन ने 14 अगस्त को पाकिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा दे दिया था. इसलिए पाकिस्तान में आजादी का जश्न 14 अगस्त को ही मनाया जाता है. लेकिन इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट के मुताबिक भारत और पाकिस्तान एक ही दिन आजाद हुए थे. जिन्‍ना ने भी पाकिस्‍तान बनने की घोषणा 15 अगस्‍त को ही की थी.

15 अगस्त आज़ादी के महान संघर्ष को याद करने का दिन होता है, तो 26 जनवरी भारतीय गणराज्य के शौर्य और शक्ति के प्रदर्शन का. इस दिन राजपथ पर भव्य परेड होती है, जिसकी सलामी राष्ट्रपति लेते हैं. राजसी समारोह की भव्यता के बीच यह बात थोड़ा पीछे चली जाती है कि आज के दिन भारत ने लिखित संविधान को अपनाया था, जिसे दुनिया के बेहतरीन संविधान में एक माना जाता है.

भारत और पाकिस्तान दोनो के पास एक ही तरह की राजनीतिक विरासत थी. दोनों ने ब्रिटेन की संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाया था. पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने भी नेहरू की तरह अपने सभी नागरिकों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता का सपना देखा था.

आजादी के बाद भारत ने अपना पूरा ध्यान बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्थापित करने में लगाया. लोकतांत्रिक संस्थाओं का गठन हुआ, उन्हे मजबूत किया गया. लेकिन पाकिस्तान आज़ाद होते ही अपने अंतर्विरोधो में फंसता चला गया. 1950 में लिखित संविधान अपनाकर भारत एक गणराज्य बन गया. दूसरी तरफ पाकिस्तान को अपना संविधान बनाने में 26 साल (1947 के बाद) लगे और वह भी पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाया.

1947 में पाकिस्तान बनने के नौ साल बाद वहां पहला संविधान 23 मार्च, 1956 को लागू किया गया था. 23 मार्च 1956 को पाकिस्तान के पहले संविधान को अपनाया गया था. इसलिए पाकिस्तान के पहले संविधान के पारित होने के उपलक्ष्य में वहां हर साल 23 मार्च को ही पाकिस्तान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन ही आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान को एक इस्लामी गणराज्य भी घोषित किया गया था, लेकिन पाकिस्तान के संविधान में फेरबदल होता रहा.

1956 के बाद, 1962 में, फिर 26 मार्च 1969 में बदलाव हुआ. वहां 1970 के संवैधानिक संकट के बाद नई सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण काम में से एक एक नए संविधान का मसौदा तैयार करना था. 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के विभाजन के बाद 1972 को 1970 के चुनाव के आधार पर विधायिका बनाई गई. फिर 10 अप्रेल 1973 को समिति ने संविधान के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश की. फिर 14 अगस्त 1973 को पाकिस्तान में नया संविधान लागू कर दिया गया.

11 सितंबर 1948 को जिन्ना की मौत के बाद से ही पाकिस्तान में नेतृत्व का संकट गहराने लगा. 1951 में पाकिस्तान में सैनिक तख्ता पलट की पहली कोशिश हुई. 1958 में पाकिस्तान में मार्शल लॉ लगा और उसके अयूब खान ने सत्ता हथिया ली. उस वक्त तक भारत में दो संसदीय चुनाव हो चुके थे.

पाकिस्तान में लंबे सैनिक शासन के खात्मे के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो एक लोकतांत्रिक नेता के रूप में उभरे. 1973 में उन्होने पहली बार पाकिस्तान में संविधान लागू करवाया. पाकिस्तान के संविधान को वहां आईन-ए-पाकिस्तान और दस्तूर-ए-पाकिस्तान कहा जाता है. पाकिस्तान का संविधान संविधान सभा द्वारा 10 अप्रेल, 1973 को पारित और 14 अगस्त 1973 से प्रभावी हुआ. इस का प्रारूप ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो की सरकार और विपक्ष ने मिल कर तैयार किया.

साभार न्यूज 18

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