हिंदू धर्म में होलाष्टक के आठ दिन अशुभ माने जाते हैं. होलाष्टक 2024 की शुरुआत 16 मार्च 2024, शनिवार (शुक्ल अष्टमी) को होगी और इसकी समाप्ति 24 मार्च 2024, रविवार (पूर्णिमा – होलिका दहन) को होगी. होलाष्टक इस साल 16 मार्च से शुरू होकर 24 मार्च को खत्म हो जाएगा. होलाष्टक की तिथियां हर साल चंद्र कैलेंडर के अनुसार बदलती रहती हैं. आम तौर पर यह फाल्गुन मास (हिंदू कैलेंडर का महीना) के शुक्ल अष्टमी से शुरू होकर फाल्गुन पूर्णिमा (होलिका दहन) को खत्म होता है.
क्यों माना जाता है होलाष्टक को अशुभ?
पौराणिक कथा के अनुसार, होलाष्टक उस समय को दर्शाता है जब भगवान शिव क्रोधित थे. ऐसा माना जाता है कि कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग करने का प्रयास किया था, जिससे शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने कामदेव को तीसरे नेत्र की अग्नि से जला दिया था. रति, कामदेव की पत्नी, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए आठ दिनों तक कठोर तपस्या की थी. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित किया था. इसीलिए इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है.
होलाष्टक के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?
– विवाह, मुंडन, यज्ञोपवीत जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं.
– नया घर गृह प्रवेश, नया व्यवसाय शुरू करना या नया वाहन खरीदना भी टाल दिया जाता है.
होलाष्टक के दौरान क्या किया जा सकता है?
हालांकि होलाष्टक में मांगलिक कार्यों से बचा जाता है, लेकिन इस दौरान कई तरह के धार्मिक कार्यों को शुभ माना जाता है: दान, जप, तप, स्नान, पूजा-पाठ, भगवान सूर्य की उपासना, ब्राह्मण, गुरु, गाय और साधु-सन्यासियों की सेवा करते हैं.
होलाष्टक का महत्व: होलाष्टक को देवताओं के विश्राम का समय माना जाता है. इस दौरान किए गए दान और जप-तप के फल को कई गुना बढ़कर मिलने की मान्यता है. होलाष्टक, हिंदू धर्म में आठ दिनों की अवधि को कहते हैं, जिसे अशुभ माना जाता है. यह होली के पर्व से आठ दिन पहले शुरू होता है और होलिका दहन (पूर्णिमा) के दिन समाप्त होता है. होलाष्टक के दौरान कोई भी विशेष कार्य करने से पहले ज्योतिषी से सलाह लेना उचित हो सकता है.