चंद दिनों में ही अफगानिस्तान का पतन हो गया. दुनिया ‘तमाशबीन’ बनकर देखती रही. अब यह लोकतांत्रिक देश बंदूक के साए में है. सड़कों पर चारों ओर लूटमार-हिंसा का दौर शुरू है, इसके साथ कट्टरपंथियों का ‘फरमान’ भी जारी हो गया है.
अफगानिस्तान की बर्बादी के पीछे अमेरिका को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं. वहीं रूस और चीन इस मामले में फिलहाल तालिबान का ‘शो’ (पिक्चर) देख रहे हैं. भारत भी हर कदम सोच समझ कर आगे बढ़ा रहा है, केंद्र सरकार भी फिलहाल तालिबानों के सत्ता संभालने का इंतजार कर रही है. एक या दो दिनों में तालिबान पूरी तरह सत्ता संभाल लेगा.
वहीं दूसरी ओर अफगानिस्तान में तालिबानी शासन लौटने पर पाकिस्तान खुशी जाहिर कर रहा है. ‘प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को तालिबान के समर्थन में बयान देते हुए कहा था कि तालिबान के नेताओं ने गुलामी की जंजीर तोड़ दी है’. संयुक्त राष्ट्र संघ ने तालिबान की निंदा की है.
‘पिछले कई दिनों से अफगानिस्तान में तालिबानों का विद्रोह पूरी दुनिया के मीडिया में छाया हुआ है’. अब बात करते हैं अफगानिस्तान में हालातों की. देश में ‘काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में भारी तबाही, औरतों की बंदिशें और कत्ले आम वाला दौर फिर लौट आया है’.
चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल शुरू है. ‘काबुल एयरपोर्ट पर सोमवार को अमेरिकी प्लेन से लटककर भागने के दौरान सात लोगों की गिरकर मौत हो गई, जब यह ह्रदय विदारक तस्वीर वायरल हुई तो दुनिया को झकझोर गई’. देश छोड़ने के लिए एयरपोर्ट से लेकर हर जगह भगदड़ मची है.
विद्रोहियों ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया और कुछ ही दिनों में सभी बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया. तालिबान की बर्बरता देख चुके अफगानिस्तान के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. काबुल हवाई अड्डे पर देश छोड़ने के लिए उमड़ रही भारी भीड़ से यह स्पष्ट हो जाता है कि लोग किस हद तक तालिबान से भयभीत हैं.
तालिबान के खौफ से पुलिस और सुरक्षाबलों के जवानों ने वर्दी उतार दी है. वे अपने घर छोड़कर अंडरग्राउंड हो गए हैं. तालिबान ने कर्मचारियों, पुलिस और सैन्य अफसरों, पत्रकारों और विदेशी एनजीओ से जुड़े लोगों की तलाश कर रहे हैं. काबुल में अफगान सुरक्षाबलों के अब दस्ते नहीं बचे हैं. अफगानिस्तान पर पूरी तरह कब्जा करने के बाद वहां तालिबान का खौफ नजर आ रहा है. महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां लगाई जा रहीं हैं.
बता दें कि तालिबान ने महिलाओं पर पाबंदियां लगानी शुरू कर दी हैं. लड़कियों के पढ़ने-लिखे, स्कूल-कॉलेज जाने और महिलाओं के दफ्तर जाने पर रोक लगा दी है. बिना पुरुष के घर से निकलने पर रोक लगा दी गई है. औरतों का बुर्का पहनना जरूरी कर दिया गया है’.स्कूल, कॉलेज, दुकानें बंद हैं, बिजनेस ठप हो गए हैं, बुर्के की दुकानों में बिक्री बढ़ गई है. तालिबान का फरमान नहीं मानने पर कड़ी सजा भी दी जा रही है.
अफगानिस्तान में तालिबानी शासन आने के बाद वहां की महिलाओं की जिंदगियों पर सबसे बुरा असर पड़ रहा है. तालिबानी शासन के पहले दिन लड़ाकुओं ने ब्यूटी सैलून के बाहर लगी महिलाओं की तस्वीर फाड़ दी, क्योंकि उन्होंने बुर्का नहीं पहना था. अफगानी जनता डर की वजह से जान बचाकर दूसरे देश भाग रही है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार