बारिश का इंतजार: मानसून का बिगड़ा मूड, जुलाई में अप्रैल-मई जैसी गर्म हवाओं से झुलसता उत्तर भारत

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उफ्फ ये गर्मी ! गर्म हवाओं से झुलसते लोग, मानसून का बिगड़ा मिजाज, बारिश का इंतजार. आज हमारी चर्चा इन्हीं पर आधारित है. पिछले कुछ दिनों से समूचा ‘उत्तर भारत तप’ रहा है. लोगों को ठीक वैसा ही एहसास हो रहा है जैसे देश में गर्मी की शुरुआत, अप्रैल-मई से होती है. अभी कुछ महीनों पहले जब गर्मी अपने ‘पीक’ पर थी तब लोगों को इतनी तकलीफ नहीं हुई जितना अब मानसून के सीजन में हो रही है. एक सप्ताह से कई राज्यों के लोग गर्मी से ‘बिलबिला’ गए हैं.

सभी को बारिश का इंतजार है. लेकिन मानसून कहीं ‘ठहर’ गया है. जबकि देश में मानसून की शुरुआत अच्छी हुई थी. एक जून को केरल में ‘दस्तक’ देकर जिसने आगे की ‘रफ्तार’ पकड़ ली थी. बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश समेत कई स्थानों पर मूसलाधार बारिश भी हो गई. इसके साथ मानसूनी बारिश ने देश के ज्यादातर हिस्सों को ‘भिगो’ भी दिया था. 1 जून को आया मानसून 12 जून तक देश के 80 प्रतिशत हिस्से में पहुंच गया.

18 जून तक जम्मू-कश्मीर-लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मणिपुर, मिजोरम और केरल को छोड़कर पूरे देश में मूसलाधार बारिश हुई. इसी के चलते 18 दिनों में सामान्‍य से 41 प्रतिशत ज्यादा बारिश हो गई. ऐसे लगने लगा कि इस साल देश में बारिश रिकॉर्ड तोड़ देगी. लेकिन अगले 12 दिनों में पूरी कहानी बदल गई. दरअसल, 15 जून से अरब सागर से चार पश्चिमी विक्षोभ उठे. इन्होंने मानसून की ‘लय बिगाड़’ दी.

18 जून के बाद सिर्फ बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में धुआंधार बारिश हुई.लेकिन 20 जून के बाद मानसून का ‘मूड’ बिगड़ गया. एक बार फिर राजधानी दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, चंडीगढ़ और पंजाब में लू के थपेड़ों ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं. उत्तर भारत के अधिकतर क्षेत्रों में गुरुवार को लोगों को ‘लू’ का सामना करना पड़ा. तापमान भी कई राज्यों में 42 तक पहुंच गया.

हर कोई असहनीय कमी से व्याकुल हो गया भीषण गर्मी के कारण कई राज्यों में बिजली की मांग भी बढ़ गई है. लेकिन अभी कुछ दिनों तक गर्मी से राहत मिलने की संभावना नहीं है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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