दो नेताओं के बीच कई महीनों तक चली खींचतान सुलझाने के बाद सोचा था अब अपने राज्य पर ध्यान लगाऊंगा, लेकिन इस राज्य में एक बार फिर छिड़ी ‘सियासी लड़ाई’ मेरा अभी भी पीछा नहीं छोड़ रही है. यह बातें पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस के महासचिव और उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बनाए गए प्रभारी हरीश रावत पर फिट बैठती है.
पिछले कई महीनों से पंजाब सरकार में जारी ‘कलह’ को सुलझाने के लिए देहरादून से दिल्ली और चंडीगढ़ के चक्कर लगा रहे हैं. आज बात करेंगे पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच एक बार फिर उठे ‘टकराव’ की.
‘पिछले महीने की 18 जुलाई को जब कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था तब माना जा रहा था कि सब कुछ ठीक हो गया है और दोनों नेता पंजाब में साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर एक साथ कांग्रेस को विजय दिलाएंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका, सिद्धू के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष का पद संभालते ही बयानबाजी का दौर शुरू हो गया’.
सिद्धू के बगावती स्वर अब कैप्टन अमरिंदर सिंह के मंत्रियों और विधायकों तक पहुंच चुके हैं. ’कैप्टन को मुख्यमंत्री के पद से हटाने के लिए दूसरे चरण की सियासी लड़ाई शुरू हो चुकी है’.
यहां हम आपको बता दें कि अमरिंदर सरकार के कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने मंगलवार को अपने आवास पर कैप्टन अमरिंदर सिंह विरोधी कांग्रेस नेताओं की बैठक बुलाई थी. इस दौरान खुले तौर पर कैप्टन को हटाए जाने की मांग उठाई गई थी. जिसके बाद सभी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से मुलाकात की थी.
इसके साथ सिद्धू के सलाहकारों ने भी मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर विवादित बयान देने के बाद राज्य कांग्रेस के नेता पूरी तरह से ‘दो गुटों’ में बंट गए हैं. इस घटनाक्रम से पंजाब कांग्रेस में संकट गहराने और अमरिंदर सिंह के खिलाफ ‘खुले विद्रोह’ के तौर पर देखा जा रहा है.
यह तो मंगलवार का घटनाक्रम था अब आपको बताते हैं बुधवार को पंजाब की सियासी लड़ाई उत्तराखंड की राजधानी देहरादून तक पहुंच गई. क्योंकि पंजाब कांग्रेस प्रदेश प्रभारी हरीश रावत इन दिनों दून में ही मौजूद हैं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार