उत्‍तराखंड

हरिद्वार: एसटीएफ का गैंगस्टर यशपाल तोमर पर कसा बड़ा शिकंजा, 153 करोड़ की संपत्ति कुर्क

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गैंगस्टर यशपाल तोमर

हरिद्वार| एसटीएफ ने लोगों की संपत्ति हड़पने वाले गैंगस्टर यशपाल तोमर पर बड़ा शिकंजा कसा है. कोर्ट के आदेश पर बागपत और दिल्ली में उससे संबंधित 153 करोड़ रुपये की चल एवं अचल संपत्ति कुर्क (अटैच) की गई है. इनमें उसके रिश्तेदारों के नाम जमीन और लग्जरी गाड़ियां भी शामिल हैं. तोमर की सवा करोड़ रुपये कीमत वाली एक बुलेट प्रूफ गाड़ी को भी एसटीएफ ने कुर्क किया है.

एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि यशपाल तोमर के खिलाफ हरिद्वार और अन्य जिलों में 13 मुकदमे दर्ज हैं. उस पर फिरौती के लिए अपहरण करने का भी आरोप है. ज्यादातर मामले लोगों की संपत्तियां हड़पने से संबंधित हैं. आरोप है कि वह लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज कराता था.

इसके बाद समझौता कराने के नाम पर उनकी संपत्तियां औने-पौने दाम पर खरीद लेता था. इस तरह उसने करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया था. उसके खिलाफ कई जिलों में प्रशासन भी जांच कर रहा है. इन मामलों में उसके खिलाफ हरिद्वार में 13 केस दर्ज हैं.

पिछले साल डीजीपी अशोक कुमार ने इन मुकदमों की जांच एसटीएफ को ट्रांसफर की थी. इनमें कार्रवाई करते हुए एसटीएफ की सिफारिश पर यशपाल तोमर के खिलाफ ज्वालापुर कोतवाली में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. इसके बाद उसे दिल्ली से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. वर्तमान में तोमर रोशनाबाद जेल में बंद है. अब डीएम हरिद्वार के आदेश पर उसकी चल-अचल संपत्ति को कुर्क किया गया है.

ये संपत्तियां हुईं कुर्क
ग्राम चिटेहरा, दादरी, जीबीनगर में 10 भू-संपत्ति : अनुमानित कीमत करीब 63 करोड़ रुपये है. यह उसने अपने ससुर ज्ञानचंद के नाम से खरीदी थी. दिल्ली, लोनी गाजियाबाद और ग्राम बरवाला जनपद बागपत में तीन भू-संपत्ति : अनुमानित कीमत 16 करोड़ रुपये है. यह उसकी पत्नी अंजना तोमर के नाम पर है.
हरिद्वार में करीब 2.455 हेक्टेयर भूमि
अनुमानित कीमत करीब 72 करोड़ रुपये. यह उसके साले अरुण कुमार के नाम है.
ग्राम रमाला जनपद बागपत में दो भू-संपत्ति
अनुमानित कीमत 98 लाख रुपये है. यह उसने अपने भाई नरेश के नाम पर खरीदी थी.
ग्राम रमाला जिला बागपत में एक भू-संपत्ति
अनुमानित कीमत करीब 20 लाख रुपये. भाई आमबीर के नाम पर.
चार पहिया वाहन
फॉर्च्यूनर कार (बुलेट प्रूफ), इनोवा, विंगर समेत आठ वाहन, कीमत करीब करीब सवा करोड़ रुपये, जो परिवार के सदस्यों के नाम है.
पांच बैंक खाते
यशपाल तोमर और परिवार के सदस्यों के नाम हैं.

यशपाल के खिलाफ मेरठ के ब्रह्मपुरी थाने में भी मुकदमा दर्ज है. यूपी एसटीएफ मामले की जांच कर रही है. चिटेहरा गांव की भूमि मामले में गौतमबुद्ध नगर के एडीएम जांच कर रहे हैं. यशपाल तोमर ने अर्जित अवैध धन को वैध बनाने के लिए आर्यनवीर एग्रो फूड प्रा.लि. नाम से कंपनी बनाई थी. इसमें उसकी पत्नी अंजना और सफाई कर्मी करमबीर सिंह निदेशक हैं. करमबीर बीपीएल कार्ड धारक है. इस कंपनी का आय-व्यय का कोई लेखाजोखा नहीं है. तोमर ने अपने चार पहिया कीमती वाहन की चोरी की झूठी रिपोर्ट यूपी व दिल्ली के विभिन्न थानों में दर्ज कराकर इंश्योरेंस कंपनियों से भी पैसे लिए हैं.

फिल्म ‘सात उचक्के’ की तर्ज पर 20 साल पहले गैंगस्टर यशपाल तोमर का गुनाहों का सफर 2002 में शुरू हुआ था. तब उसके खिलाफ पुलिस के ऊपर जानलेवा हमला करने का मुकदमा दर्ज हुआ था. इसके बाद उसने कई लोगों को झूठे मुकदमों में फंसाया और अवैध संपत्तियां अर्जित कर लीं. दो बीघा जमीन से देखते ही देखते उसने करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया. उसने कुल 28 लोगों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराए हैं. एसटीएफ का मानना है कि कई लोग ऐसे भी हैं जो पुलिस के सामने नहीं आए हैं.

यशपाल तोमर का नाम पिछले साल हरिद्वार के एक बड़े व्यापारी की संपत्ति हड़पने में सामने आया था. उसे तोमर ने धमकी भी दी थी. मामला ज्वालापुर कोतवाली में दर्ज किया गया था. उसकी कहानी बॉलीवुड की फिल्म ‘सात उचक्के’ से काफी मिलती-जुलती है. फिल्म का किरदार किसी की संपत्ति हड़पने के लिए पहले दबाव बनाता है.

फिर उसे झूठे मुकदमों में जेल भिजवा देता है. इसके बाद पुलिस के सामने इस तरह से कहानी प्रस्तुत करता है कि वह तथ्यों के आधार पर एकदम सच लगे. एसटीएफ ने जब कड़ी से कड़ी जोड़कर यशपाल की आपराधिक गतिविधियों की जांच की तो कई हैरान करने वाले खुलासे हुए.

तोमर मूल रूप से बागपत का रहने वाला है. वह पेशे से किसान था और परिवार में पांच भाइयों के पास केवल नौ बीघा जमीन थी. यशपाल के हिस्से में दो बीघे से भी कम. इसके बाद उसने रसूखदारों के साथ मिलकर ऐसा खेल खेला कि सैकड़ों करोड़ की संपत्ति का मालिक बन गया.

तोमर थाना बरवाला के एक तत्कालीन पुलिस अधिकारी के संपर्क में आया. इसके बाद पुलिस की सारी गतिविधियों को करीब से जानकर एक सफेदपोश शातिर अपराधी बन गया. अब तक ज्ञात सबसे पहले वह वर्ष 2002 में कोतवाली हरिद्वार से पुलिस पर जानलेवा हमला करने, अवैध हथियार रखने और धोखाधड़ी के जुर्म में गिरफ्तार हुआ था. जेल में रहकर उसने अपना नेटवर्क स्थापित किया.

वर्ष 2004 में हरिद्वार के एक व्यापारी के खिलाफ तोमर ने सरसावा और साहिबाबाद थाने में अपने साथियों के साथ मिलकर अपहरण व दुष्कर्म का फर्जी मुकदमा दर्ज करा दिया. मुकदमे की आड़ में समझौते का दबाव बनाकर उसकी भूपतवाला स्थित करोड़ों की जमीन को औने-पौने दाम में खरीदकर अपने सहयोगी के नाम करा लिया. इस तरह उसने कुल 28 लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए हैं.



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