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विशेष: सोशल मीडिया पर सरकार की बंदिशें नहीं बल्कि बढ़ती अराजकता और फूहड़ता रोकना है

सांकेतिक फोटो
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अभिव्यक्ति की आजादी, लिखने की आजादी, बोलने की आजादी इसके साथ अपने आक्रोश को प्रकट करने की आजादी. जी हां, आज हम बात करेंगे सोशल मीडिया की. हाल के वर्षों में दुनिया भर में सोशल मीडिया एक ताकतवर के रूप में सामने आया है. इस युग में यह प्लेटफॉर्म्स लोगों की अभिव्यक्ति व्यक्त करने का सशक्त माध्यम बन गया है. वहीं इस प्लेटफॉर्म्स की लोगों को ताकतवर बनाने में बड़ी भूमिका भी रही.

यही नहीं कई शख्सियत ऐसी भी हैं जो सोशल मीडिया का सहारा लेकर अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुई. कई मौके पर लोगों ने इसके माध्यम से सरकारों को चैलेंज भी किया.‌ अब भारत सरकार सोशल मीडिया को कानून केे दायरे में लाने जा रही है, या कहें इस प्लेटफॉर्म्स पर सख्त नियम बनने शुरू हो गए हैं. फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दुनिया में इसके करोड़ों यूजर हैं. देश और दुनिया भर में तमाम मुद्दों पर लोग बेबाकी से अपनी राय रखते हैं.

इसके साथ लोग इस माध्यम का गलत इस्तेमाल भी करने में लगे हुए हैं. आज कई देशों का मानना है कि सोशल मीडिया इतना ताकतवर हो गया है कि वह सरकारों को भी गिराने की ताकत रखता है, जिसके चलते अराजकता और लोकतंत्र कमजोर हो रहा है.

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में फेसबुक और सरकार को लेकर लंबा विवाद भी देखने को मिला. ऐसे ही पिछले महीने अमेरिका के वाशिंगटन में कैपिटल हिल पर उपद्रव मचाया था तब भी फेसबुक, और टि्वटर की भूमिका संदेह के दायरेे में थी. ऐसा ही किसान आंदोलनों के बीच 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के बाद सोशल मीडिया पर कई आपत्तिजनक पोस्ट शेयर की गई.‌ बस यहीं से मोदी सरकार की इस प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी लगाने की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी.

गौरतलब है कि इस मामले की शुरुआत 11 दिसंबर 2018 से हुई, जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह चाइल्ड पोर्नोग्राफी, गैंगरेप से जुड़े कंटेंट को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से हटाने के लिए जरूरी गाइडलाइन बनाए. उसके बाद केंद्र सरकार सक्रिय हो गई थी.

सोशल मीडिया के तीनों प्लेटफॉर्म्स पर यह बनाए जाएंगे नियम
बता दें कि ओटीटी और डिजिटल खबरों के कंटेंट के लिए श्रेणियां बनेंगी, फिल्मों जैसा कोड भी बनेगा. ओटीटी, डिजिटल न्यूज के लिए तीन चरणों की प्रणाली बनेगी. इन्हें अपनी कंपनी की जानकारियां देनी होंगी.

यदि आप कोई आपत्तिजनक पोस्ट या कंटेंट शेयर करते हैं और उस पर आपत्ति आती है तो सोशल मीडिया कंपनी इसकी जानकारी सरकार को उपलब्ध कराएगी. आपका कोई पोस्ट सोशल मीडिया कंपनी डिलीट करती है तो आप कंपनी से इसकी वजह पूछ सकते हैं. महिलाओं से जुड़ी आपत्तिजनक सामग्री शेयर पर उसे शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर हटा दिया जाएगा. यूजर्स के लिए अच्छी बात यह है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग बंद होगा.

फेक न्यूज, अफवाहें, दुष्प्रचार और आपत्तिजनक कंटेंट रोकने में सरकार को मदद मिलेगी. सरकार का कहना है कि रजिस्ट्रेशन की बाध्यता नहीं है, पर जानकारी देनी ही होगी. साथ ही डिजिटल न्यूज मीडिया के पब्लिशर्स को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और केबल टीवी नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट से जुड़े नियमों को मानना होगा ताकि प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया के बीच रेगुलेशन का सिस्टम एक जैसा हो.बता दें कि नई गाइडलाइंस के दायरे में फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्‍स और नेटफ्लिकस, अमेजॉन प्राइम, हॉटस्‍टार जैसे ओटीटी प्‍लेटफॉर्म्‍स आएंगे.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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