भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचने जा रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, आईआरसीटीसी में ओएफएस के जरिए हिस्सा बेचा जाएगा. इसके लिए विनिवेश विभाग ने मर्चेंट बैंकर्स की नियुक्ति के लिए बोलियां मंगाई है. इसको लेकर प्री-बिड मीटिंग 3 सितंबर को होगी.
मौजूदा समय में सरकार की आईआरसीटीसी में 80 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है. आपको बता दें कि ये रेलवे की सब्सिडियरी कंपनी है. इसके जरिए सभी लोग घर बैठे ट्रेन टिकट बुक करते है. इसके अलावा आईआरसीटीसी प्राइवेट ट्रेन भी चलाती है.
आईआरसीटीसी की शेयर बाजार में एंट्री अक्टूबर 2019 में हुई थी. 320 रुपये के इश्यू प्राइस के मुकाबले शेयर 626 रुपये के भाव पर लिस्ट हुआ. बुधवार को शेयर 1363 रुपये के भाव पर बंद हुआ.
आईआरसीटीसी रेलवे में केटरिंग की सर्विस देती है. इसके साथ ही ऑनलाइन टिकट बुकिंग और पैकेज्ड ड्रिंक वाटर बेचती है. आईआरसीटीसी एशिया पसिफ़िक की व्यस्ततम वेबसाइट में शामिल है. इसके जरिए हर महीने 2.5-2.8 करोड़ टिकट बिक्री होती है. रोजाना इसकी वेबसाइट पर 7 करोड़ लॉग इन होते हैं.
क्या होता है ओएफएस-
ओएफएस को ऑफर फॉर सेल कहते है. शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल करते है. सेबी के नियमों के मुताबिक जो भी कंपनी ओएफएस जारी करना चाहती है, उसे इश्यू के दो दिन पहले इसकी सूचना सेबी के साथ-साथ एनएसई और बीएसई को देनी होती है.
इसके बाद इन्वेस्टर्स एक्सचेंज को जानकारी देकर इस प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं. इन्वेस्टर्स किस कीमत पर शेयर खरीदना चाहते हैं उसकी जानकारी उपलब्ध करानी होती है.
इन्वेस्टर अपनी बोली दाखिल करता है. उसके बाद कुल बोलियों के प्रस्तावों की गणना की जाती है और इससे पता चलता है कि इश्यू कितना सब्सक्राइब हुआ है. इसके बाद प्रक्रिया पूरी होने पर स्टॉक्स का अलॉटमेंट होता है.