उत्‍तराखंड

उत्तराखंड: वैज्ञानिकों की रिपोर्ट में बताई गई चमोली में अचानक आई भीषण बाढ़ की वजह

0
चमोली त्रासदी

पिछले महीने उत्तराखंड के चमोली जिले में अचानक आई बाढ़ के चलते भारी तबाही हुई थी. कहा गया था कि ग्‍लेशियर फटने से ये हादसा हुआ है. इस घटना में अब तक 71 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 130 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं.

इस हादसे को लेकर वैज्ञानिकों ने अब नए दावे किए हैं. उनका कहना है कि ऋषि गंगा, धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों में अचानक आई बाढ़ की मुख्य वजह बड़े पत्थरों का खिसकना है. इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट के एक्सपर्ट्स का कहना है कि रोंती पर्वत की चोटियों के ठीक नीचे पत्थर खिसक गए जिससे बर्फ पिघलने शुरू हो गए. विज्ञान की भाषा में इसे ‘रॉकस्लाइड’ कहा जाता है.

इस बाढ़ को लेकर नए तथ्य शुक्रवार को जारी किए गए. वैज्ञानिकों के मुताबिक करीब 22 मिलियन क्यूबिक मीटर भारी पत्थर ग्लेशियर पर गिर गए. इसी के चलते अचानक पानी का भारी बहाव आगे की तरफ बढ़ने लगा. ICIMOD के रिसर्चर के मुताबिक इस पत्थर की चौड़ाई करीब 550 मीटर की. ये समुद्र की सतह से करीब 5500 मीटर ऊपर था. आकार में बड़े और ऊंचाई पर होने के चलते इससे काफी ज्यादा मात्रा में एनर्जी पैदा हुई.

ICIMOD में भारत, नेपाल और चीन सहित 8 देशों के सदस्य हैं. इससे पहले वैज्ञानिकों ने अलग-अलग तर्क दिए थे. पिछले दिनों ग्लेशियर के बारे में जानकारी रखने वाले वैज्ञानिकों (ग्लेशियोलॉजिस्ट) की दो टीम जोशीमठ-तपोवन गई थी.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तत्वावधान में देहरादून का वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, क्षेत्र में हिमनदों और भूकंपीय गतिविधियों सहित हिमालय के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करता है. इसने उत्तराखंड में 2013 की बाढ़ पर भी अध्ययन किया था जिसमें लगभग 5,000 लोग मारे गए थे.

इस बीच सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने उत्तराखंड के चमोली जिले में रिषीगंगा नदी के जोशीमठ-मलारी मार्ग पर 200 फुट लंबा एक ‘बेली ब्रिज’ बना कर 13 सीमावर्ती गांवों का संपर्क बहाल कर दिया है. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह पुल जिले के रेनी गांव के पास बनाया गया है और इसे बुधवार को आम आदमी के उपयोग के लिए खोल दिया गया.

साभार-न्यूज़ 18

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version