बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतकर चर्चा में आए असदुद्दीन ओवैसी के गढ़ हैदरबाद में उनकी अग्निपरीक्षा होनी है. ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है.
की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पुराने हैदराबाद इलाके की सीटों पर किस्मत आजमा रही है, जबकि बीजेपी और टीआरएस ने सभी 150 निगम पार्षद सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है.
बीजेपी निकाय चुनाव के जरिए 2023 में होने वाले तेलंगाना विधानसभा चुनाव में अपने सियासी आधार को बढ़ाना चाहती है. यही वजह है बीजेपी ने अपने दिग्गज नेताओं की पूरी फौज उतार रखी है.
टीआरएस भी निकाय चुनाव जीतने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसी के मद्देनजर पार्टी ने तमाम लोकलुभावने वादे भी कर रखे हैं. कांग्रेस अपने सियासी वजूद को बचाए रखने की जद्दोजहद कर रही है.
हैदराबाद नगर निगम का समीकरण
बता दें कि 2016 के ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में टीआरएस ने 150 वार्डों में से 99 वार्ड में जीत दर्ज की थी, जबकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने 44 जीता था. वहीं, बीजेपी महज तीन ही नगर निगम वार्ड में जीत दर्ज कर सकी थी और कांग्रेस को महज दो वार्डों में ही जीत मिली थी. इस तरह से ग्रेटर हैदराबाद और पुराने हैदराबाद के निगम पर केसीआर और ओवैसी की पार्टी ने कब्जा जमाया था.
बीजेपी ने उस समय महज तीन सीटें जीती थी जब पार्टी के सात विधायक थे. 2018 के विधानसभा में बीजेपी ने हैदराबाद में छह सीटें खो दीं महज एक सीट बचा पाई थी. बीजेपी के राजा सिंह ने जीतकर बीजेपी की लाज बचाई थी. हालांकि, एक साल के बाद हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने तेलंगाना की चार सीटें आदिलाबाद, करीमनगर, निज़ामाबाद और सिकंदराबाद में जीत हासिल की है.
ऐसे में अब उसकी नजर ओवैसी के दुर्ग हैदराबाद इलाके में जीत का परचम फहराने का है. निगम चुनाव में केसीआर के 150 सीटों पर प्रत्याशी उतारने से जरूर ओवैसी की लिए चिंता बढ़ गई है. ऐसे में देखना है कि ओवैसी के अपने दुर्ग में क्या सियासी गुल खिलाते हैं.