बता दें कि राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु इस ब्लैक फंगस को पहले ‘महामारी’ घोषित कर चुके हैं. दिल्ली में भी इसके मरीजों के इलाज के लिए अलग से सेंटर्स बनाए जा रहे हैं. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को खत लिखकर ब्लैक फंगस के लिए अलर्ट किया है.
साथ ही सभी राज्यों सरकारों से इसे महामारी एक्ट के तहत नोटेबल डिजीज घोषित करने को कहा है. यानी राज्यों को ब्लैक फंगस के केस, मौतों, इलाज और दवाओं का हिसाब रखना होगा. फंगस के इलाज में असरदार दवा एम्फोटेरिसीन-बी की कमी सामने आने के बाद अब इसके उत्पादन के लिए तीन दिन में 5 कंपनियों को मंजूरी दी है.
केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इसकी जानकारी दी. मंडाविया ने यह भी कहा कि मौजूदा दवा कंपनियों ने औषधि का उत्पादन बढ़ाना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों ने एम्फोटेरिसीन-बी की 6 लाख खुराक के आयात के लिए भी ऑर्डर दिए हैं जो जल्द ही आ जाएंगे.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने गुरुवार को राज्यों से कहा कि ब्लैक फंगस इंफेक्शन के केस बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं और इससे कोविड मरीज की मौतों की संख्या भी बढ़ रही है, हमारे सामने ये एक नई चुनौती है. दूसरी ओर आईसीएमआर के मुताबिक म्यूकरमाइकोसिस एक फंगल इन्फेक्शन है.
ये ऐसे लोगों को निशाना बनाता है, जो दवाइयों पर चल रहे हों या उन्हें पहले से स्वास्थ्य की ऐसी परेशानियां हों, जिससे इम्युिनटी घट रही हो. ऐसे मरीजों को सांस लेने से फंगल इंफेक्शन हो सकता है. नाक और फेफड़े इसका निशाना बनते हैं.
कोरोना महामारी के दौरान सामने आया ब्लैक फंगस अब बड़ी चिंता बन गया है. देश को अब फंगस इंफेक्शन से सचेत रहना होगा.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार