मोदी सरकार की 1 अप्रैल 2021 से ग्रेच्युटी, पीएफ और काम के घंटों में बड़े बदलाव होने की संभावना है.अगर ऐसा होता है तो कर्मचारियों के हाथ में आने वाला पैसा घटेगा. जबकि कंपनियों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी. पिछले साल संसद में तीन मजदूरी संहिता विधेयक पास किए गए थे, जिनके 1 अप्रैल से लागू होने की संभावना है.
वेज (मजदूरी ) की नई परिभाषा के मुताबिक, भत्ते सैलरी के अधिकतम 50 फ़ीसदी होंगे. यानी कि मूल वेतन अप्रैल से कुल वेतन का 50 फ़ीसदी या अधिक होना चाहिए.
73 साल में पहली बार देश के श्रम कानून में बदलाव किए जा रहे हैं. नए ड्राफ्ट रूल के मुताबिक, मूल वेतन कुल वेतन का 50 प्रतिशत या अधिक होना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो इससे ज्यादातर कर्मचारियों की वेतन संरचना बदलेगी.
मूल वेतन बढ़ने से आपका पीएफ बढ़ेगा, क्योंकि पीएफ मूल वेतन पर ही आधारित होता है. इससे आपके हाथ में आने वाली सैलरी में कटौती होगी. नए ड्राफ्ट कानून में कामकाज के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 घंटे करने का प्रस्ताव किया गया है.
व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य की दशा(ओएसच कोड) के ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान किया गया है. जबकि मौजूदा नियमों में 30 मिनट से कम ओवरटाइम नहीं माना जाता है. इस नए नियमों में किसी भी कर्मचारी से लगातार 5 घंटे से ज्यादा काम कराने को प्रतिबंधित किया गया है. कर्मचारियों को बीच में आधे घंटे का विश्राम मिलना चाहिए.