उत्तराखंड के जंगलों में आग तांडव मचा रही है. सबसे अधिक तीन पहाड़ी जिले पौड़ी , अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ के जंगली इलाके आग से सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं. उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर की 962 घटनाओं में 1258 हेक्टेयर क्षेत्र को आग अभी तक अपनी जद में ले चुकी है.
पिछले एक सप्ताह में आग की घटनाओं में तेजी के साथ वृद्वि हुई है. इनमें पौड़ी जिला सबसे ऊपर है. पिछले साल पूरे राज्य में 172 हेक्टेयर क्षेत्र में आग लगी थी. इस साल अकेले पौड़ी में अभी तक 338 हेक्टेयर क्षेत्र आग की भेंट चढ़ चुका है. पौड़ी के बाद अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ दूसरे, तीसरे नंबर पर हैं.
उत्तराखंड में फॉरेस्ट फायर से अभी तक चार लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें 03 लोग घायल हुए हैं. 07 मवेशी भी आग की भेंट चढ़े हैं, तो 22 मवेशी झुलस गए हैं. इसके अलावा तीन हजार लीसा घाव वाले पेड़, तो प्लांटेशन एरिया में लगाई गई 32 हजार पौध भी आग की चपेट में आ चुकी है. ये हाल तब है, जब फॉरेस्ट फायर का पीक सीजन शुरू भी नहीं हुआ है.
पंद्रह अप्रैल से 15 जून का समय फॉरेस्ट फायर के लिहाज से सबसे संवेदनशील माना जाता है. फॉरेस्ट फायर मैनेजमेंट का काम देख रहे सीसीएफ मान सिंह का कहना है कि होली के आसपास से फॉरेस्ट फायर की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. पिछले एक हफ्ते में डेढ़ सौ किमी प्रति घंटे की रप्तार से हवाएं चल रही हैं. इसने आग को और भडक़ा दिया है. एक तरह से आग कन्ट्रोल से बाहर हो चुकी है.
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भी फॉरेस्ट फायर को लेकर अपनी चिंता जता चुके हैं. सीएम ने बीते हफ्ते समीक्षा मीटिंग के दौरान जरूरत पडऩे पर हेलीकॉप्टर का प्रयोग करने के निर्देश दिए थे, लेकिन वन विभाग अभी तक हेलीकॉप्टर की व्यवस्था नहीं कर पाया.
फॉरेस्ट मिनिस्टर हरक सिंह रावत आम लोगों से आगे आने की अपील कर रहे हैं. हरक सिंह का कहना है कि एक पेड़ कई लोगों को प्राण वायु देता है. इसलिए लोगों को जरूरत पडऩेे पर जंगलों की रक्षा को आगे आना चाहिए. सरकार आग पर काबू पाने के लिए अभी तक तीस करोड़ रुपये जारी कर चुकी है. सीएम के निर्देश के बाद करीब एक करोड़ रुपये नए उपकरणों की खरीद के लिए भी रिलीज कर दिए गए हैं.