देहरादून| उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर की है.
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जाहिर की है. फिलहाल, त्रिवेंद्र सिंह रावत डोईवाला सीट से विधायक हैं और वह इस सीट से तीन बार प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं.
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खत में क्या लिखा है
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जेपी नड्डा को खत लिख कहा कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है और युवा नेतृत्व पुष्कर धामी के रूप में मिला है. बदली राजनीतिक परिस्थितियों में मुझे विधानसभा चुनाव 2022 नहीं लड़ना चाहिए, मैं अपनी भावनाओं से पूर्व में ही अवगत करा चुका हूं.
मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं. राष्ट्रीय सचिव, झारखंड प्रभारी, उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव 2014 में मैंने सहप्रभारी की जिम्मेदाररी निभाई है. मैंने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली समेत कई चुनाव अभियानों में काम किया है.
दरअसल, भाजपा सरकार के इस कार्यकाल में सबसे ज़्यादा करीब चार साल तक मुख्यमंत्री रहने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत के चुनाव लड़ने पर काफी समय से सस्पेंस था. हलांकि, अब वह खुद चुनाव न लड़ने की इच्छा जता चुके हैं. रावत डोईवाला सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहां से वह तीन बार 2002, 2007 और 2017 का चुनाव जीते लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के सामने रावत को इस बार टिकट दिए जाने को लेकर असमंजस है, क्योंकि उन्हें बीच कार्यकाल में ही सीएम पद से हटाया गया था. यही नहीं, रावत के कई फैसले धामी और तीरथ सिंह सरकार में बदले भी गए थे.
क्या कटने वाला था टिकट वाले नाम से पत्ता?
उत्तराखंड की सियासत पर नजर रखने वाले राजनीतिक पंडितों का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस बार भाजपा टिकट देती या नहीं, इस पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं. चर्चा यह भी है कि इस बार सरकार विरोधी लहर को काबू में करने के लिए भाजपा अपने 57 विधायकों में से एक दर्जन से ज़्यादा के टिकट छीनने वाली है. सूत्रों की मानें तो जिस तरह मुख्यमंत्री बदलकर पार्टी ने छवि बदली, उसी तरह इस फैसले से भी वोटरों के बीच पार्टी एक अलग संदेश देने की कोशिश करेगी.