उत्तराखंड में चुनावों से पहले चेहरों की लड़ाई छिड़ गई है. पहले भाजपा ने एक दम नए चेहरे और युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाकर चुनाव में उतरने का फैसला किया. और अब कांग्रेस में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर, घमासान होता दिख रहा है. इसके संकेत राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत के दो ट्वीट से साबित हो रहा है.
हरीश रावत ने किया दर्द बयां
पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा है कि मैं आह भी भरता हूं तो लोग खफा हो जाते हैं. यदि उत्तराखंड के भाई-बहन मुझसे प्यार जता देते हैं तो लोग उलझन में पड़ जाते हैं. मैंने पहले भी कहा है कि हम लाख कहें, लोकतंत्र की दुल्हन तो वही होगी जो जनता रूपी पिया के मन भायेगी. मैं तो केवल इतना भर कहना चाहता हूँ कि, उत्तराखंड यदि मैं, आपके घर को आपके मान-सम्मान के अनुरूप ठीक से संभाल सकता हूं तो मेरे समर्थन में जुटिये. राजनीति की …तो मेरा हाथ पकड़कर मुझे फिसलन और धक्का देने वाले, दोनों से बचाइये.
पिछले बार चुनावों के पहले हो गई बगावत
साल 2016 में उत्तराखंड कांग्रेस में बड़ी बगावत हुई थी. उस समय पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में बगावत हो गई थी. और हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ गई थी. मार्च 2016 में वित्त विधेयक के दौरन 9 विधायकों ने बगावत कर दी थी. उस समय कांग्रेस के पास 36 विधायक थे. हालांकि बाद में उनकी सरकार बच गई थी.
लेकिन इस बार आलाकमान चुनाव के पहले ऐसी कोई स्थिति नहीं पैदा होने देना चाहता है, जिससे पार्टी में गुटबाजी हो. इसलिए वह किसी चेहरे को पेश नहीं करना चाहती है. इसलिए वह नाम पेश करने से बच रही है. इसलिए उसके नेता यह कह रहे हैं कि पार्टी इस बार सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है.
उत्तराखंड में पार्टी को बड़ी उम्मीद
फरवरी-मार्च में होने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को उत्तराखंड में सरकार बनने की बड़ी उम्मीद है. ऐसे में वह नहीं चाहती है कि चुनावों के पहले उसके लिए कोई असहज स्थिति पैैदा हो और मतदाताओं में गलत संदेश जाय. इस बीच कांग्रेस नेता हरीश रावत की भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात भी सत्ता के गलियारे में चर्चा है. हालांकि मौका त्रिवेंद्र सिंह रावत को जन्मदिन की बधाई का था.