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अपर्णा यादव हुईं बीजेपी में शामिल, मुलायम की छोटी बहू का अखिलेश को बड़ा झटका

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लखनऊ| यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यूपी की सियासत में बड़ी हलचल हुई है. मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव आज यानी बुधवार को भाजपा में शामिल हो गईं.

अपर्णा यादव की एंट्री से न केवल भाजपा ने सपा में सेंधमारी की है, बल्कि मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को बड़ा झटका दिया है.

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले बीजेपी में शामिल होने के बाद अपर्णा यादव ने कहा कि मैं भाजपा का बहुत आभारी हूं. मेरे लिए देश हमेशा सबसे पहले आता है. मैं पीएम मोदी के काम की प्रशंसा करती हूं.

दरअसल, यूपीके पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव आज बुधवार को यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गईं. बता दें कि मुलायम सिंह यादव के बेटे प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव लखनऊ कैंट विधानसभा से सपा पार्टी के टिकट पर 2017 में चुनाव हार चुकी हैं.

भाजपा का दामन थामने के बाद अपर्णा यादव ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी जी का और राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का धन्यवाद करती हूं. उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और अनिल बलूनी जी का धन्यवाद करती हूं.

मैं प्रधानमंत्री जी से पहले से ही प्रभावित रहती थी, मेरे लिए सर्वप्रथम राष्ट्र है. अब मैं राष्ट्र की अराधना के लिए निकली हूं. आपका सहयोग अनिवार्य है. यही कहूंगी कि जो भी कर सकूंगी अपनी क्षमता से करूंगी.

यूपी में विधानसभा चुनाव 2022 की तिथियां जारी होते ही नेताओं का पाला बदलना शुरू हो गया है. योगी आदित्‍यनाथ सरकार में मंत्री रहे स्‍वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी जैसे वरिष्‍ठ नेता समाजवादी पार्टी का दामन थाम चुके हैं. इसके अलावा भाजपा के कई विधायक भी सपा में शामिल हो चुके हैं. अन्‍य छोटे दलों के प्रभावी नेताओं का भी पाला बदलने का सिलसिला शुरू है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों के लिए सात चरणों में मतदान 10 फरवरी से शुरू होगा. उत्तर प्रदेश में अन्य चरणों में मतदान 14, 20, 23, 27 फरवरी, 3 और 7 मार्च को होगा. वहीं यूपी चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे.

2017 के चुनाव में बीजेपी ने यहां की 403 में से 325 सीटों पर जीत दर्ज की थी. सपा और कांग्रेस ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. सपा ने 47 और कांग्रेस ने 7 सीटें ही जीती थीं. मायावती की बसपा 19 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. वहीं 4 सीटों पर अन्य का कब्जा हुआ था.

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