भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व बल्लेबाज रॉबिन उथप्पा ने सार्वजनिक रुप से मानसिक दबाव पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. उथप्पा ने ऐसा दूसरे खिलाड़ियों को इस मुद्दे पर मुखर होने और अपनी बात रखने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ये अपना बयान दिया है. उनके मुताबिक ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो मानसिक दबाव से जूझ रहे हैं लेकिन वे अपनी बात शेयर नहीं कर पा रहे हैं. पूर्व खिलाड़ी ने कहा कि, किसी भी खिलाड़ी के लिए मानसिक दबाव को झेलना क्रिकेट फिल्ड पर मिलने वाले चैलेंज से भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है.
सोशल मीडिया पर रॉबिन उथप्पा ने एक वीडियो पोस्ट की है इसमें उन्होंने मानसिक विवाद पर अपना अनुभव साझा किया है. उथप्पा ने कहा है, मैंने क्रिकेट के मैदान पर कई चुनौतियों का सामना किया है लेकिन कोई भी चुनौती मानसिक पीड़ा से बड़ी नहीं थी. मैं इस मुद्दे पर इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि मैं इस अकेला नहीं हूं.
उन्होंने कहा कि हम मानसिक दबाव और आत्महत्या पर बात करने जा रहे हैं. हमने हाल ही में इंग्लैंड के ग्राहम थोर्प और भारत के डेविड जॉनसन के बारे में सुना है. जिन्होंने आत्महत्या की है. ये ऐसी स्थिति है जब हमें लगने लगता है कि हम उनके लिए बोझ हैं जिनसे हम प्यार करते हैं. हम खुद को बेकार समझने लगते है. ये अच्छी स्थिति नहीं है.
2011 में मैं खुद को लेकर काफी चकित था. अगर आप आगे क्या करने वाले हैं इसकी जानकारी नहीं है तो ये बुरा नहीं है. कभी कभी हमें अपने मंजिल तक पहुंचने के लिए सिर्फ रहना होता है. प्राय: हमें किसी लक्ष्य के अंत में नहीं बल्कि हर जिंदगी के हर कदम पर प्रकाश की जरुरत होती है. उथप्पा का यह बयान उस समय आया है जब खेल जगत में मानसिक स्थिति और दबाव एक बड़े मुद्दे के रुप में उभर रहा है और इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी ने ग्राहम थोर्प ने आत्महत्या की है.
रॉबिन उथप्पा एक आक्रामक बल्लेबाज हैं और इंडियन प्रीमियर लीग में उनका करियर लंबा और सफल रहा है लेकिन अंतराष्ट्रीय स्तर पर 38 साल का ये बल्लेबाज वो सलफता हासिल नहीं कर सका जिसके हकदार वो थे. 2007 में टी 20 विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे उथप्पा ने 2015 में अपना आखिरी मैच खेला था. उथप्पा ने 46 वनडे में 6 अर्धशतक लगाते हुए 934 रन और 13 टी 20 में 249 रन बनाए हैं.