तमाम विवादों के बाद आखिरकार पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द प्रेसिडेंशियल इयर्स’ प्रकाशित हो गई है. इस किताब में प्रणब मुखर्जी ने कई खुलासे किए हैं. ये खुलासे कांग्रेस को लेकर ही नहीं है बल्कि पीएम मोदी, पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू तथा इंदिरा गांधी को लेकर भी हैं.
इससे पहले प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने किताब के पब्लिश होने पर तब तक रोक लगाने की मांग की थी जब तक वो पढ़ नहीं लेते. वहीं प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने अभिजीत की मांग को गलत बताते हुए किताब को प्रकाशित करने की मांग की थी.
तो भारत का होता नेपाल
अपनी इस किताब में प्रणब मुखर्जी ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए दावा किया है कि नेपाल भारत में अपना विलय चाहता था लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने नेपाल के भारत में विलय करने के राज त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. इतना ही नहीं प्रणब मुखर्जी ने दावा किया कि अगर नेहरू की जगह इंदिरा गांधी होती तो ये प्रस्ताव कभी नहीं ठुकराती. प्रणब के इस खुलासे से एक बार फिर बीजेपी कांग्रेस पर हमले करने का मौका नहीं छोड़ेगी.
असहमति वालों की भी आवाज सुनें पीएम मोदी
प्रणब मुखर्जी ने अपनी इस किताब में पीएम मोदी की तारीफ भी की है लेकिन साथ में ये भी लिखा है कि पीएम मोदी को अपने विचारों से असहमति रखने वाली आवाजों को भी सुनना चाहिए. प्रणब मुखर्जी के मुताबिक प्रधानमंत्री की उपस्थितिमात्र से ही संसद की कार्यप्रणाली में अभूतपूर्व बदलाव आ जाता है. प्रणब मुखर्जी ने लिखा कि यूपीए के शासनकाल के दौरान सत्ता पक्ष के नेता लगातार विपक्ष के नेताओं के लगातार संपर्क में रहकर विभिन्न मुद्दों का हल किया करते थे.
कांग्रेस में करिश्माई नेतृत्व खत्म
अपनी इस किताब में प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि 2014 में कांग्रेस की हार का प्रमुख कारण यह रहा कि कांग्रेस करिश्माई नेतृत्व के खत्म होने की पहचान करने में विफल रही. उन्होंने लिखा कि यही वजह थी यूपीए सरकार एक मध्यम स्तर के नेताओं की सरकार बनकर रह गई थी. प्रणब मुखर्जी ने लिखा, ‘2014 में नतीजे आने के बाद यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा था कि कांग्रेस सिर्फ 44 सीटें जीत सकी है. तब कांग्रेस के प्रर्दशन से बहुत निराशा हुआ. दुख की बात ये है कि कांग्रेस में अब पंडित नेहरू जैसे कद्दावर नेता नहीं है.’
नोटबंदी को लेकर पीएम ने नहीं की चर्चा
इस किताब में प्रणब मुखर्जी ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा करने से पहले उनके साथ इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की थी. उन्होंने कहा कि इससे उन्हें हैरानी नहीं हुई क्योंकि ऐसी घोषणा के लिए आकस्मिकता जरूरी है.
अपनी इस किताब में प्रणब मुखर्जी ने आगे लिखा, ‘चाहे जवाहलाल नेहरू हों, या फिर इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी अथवा मनमोहन सिंह हों, इन्होंने सदन में अपनी उपस्थिति का अहसास कराया. प्रधानमंत्री मोदी को अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों से प्रेरणा लेनी चाहिए और नजर आने वाला नेतृत्व देना चाहिए.’ प्रधानमंत्री मोदी का अपने शपथग्रहण में सार्क नेताओं को न्यौता देने के फैसले को सही बताते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि यह अच्छा फैसला था लेकिन मोदी का अचानक लाहौर जाना गलत कदम था.
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‘कांग्रेस में करिश्माई नेतृत्व खत्म’, कांग्रेस; मोदी और नेहरू पर प्रणब मुखर्जी ने ये चौंकाने वाले खुलासे
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