मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. कन्हैया कुमार ने कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद कहा है कि ‘मुझे या देश करोड़ों युवाओं को लगने लगा है कि अगर कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा. इसलिए कांग्रेस ज्वाइन की.
कांग्रेस देश की सबसे बड़ी विपक्षी है, उसे बचाने की जिम्मेदारी है. अगर बड़ा जहाज नहीं बचेगा तो छोटे जहाज भी नहीं बचेंगे. देश में इस समय के वैचारिक संघर्ष को कांग्रेस पार्टी ही नेतृत्व दे सकती है.’ इस दौरान कन्हैया कुमार ने कांग्रेस को सबसे लोकतांत्रिक पार्टी करार दिया है.
यह भी खबर आई है कि कांग्रेस के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक कन्हैया कुमार को कांग्रेस के निकट लाने में सबसे बड़ी भूमिका विधायक शकील अहमद खान ने निभाई है. बताया जा रहा है कि कन्हैया से उनका अच्छा तालमेल है और उन्होने ही राहुल गांधी से कन्हैया कुमार की मुलाकात करवाई थी.
दरअसल नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन में भी शकील बिहार में कन्हैया के साथ घूम रहे थे. हालांकि, इसमें चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का भी अहम रोल मनामा जा रहा है. दरअसल पीके की गाइडलाइन के तहत राहुल गांधी युवा नेताओं की नई टीम बना रहे हैं. उनमें कन्हैया की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है. माना जा रहा है कि कांग्रेस कन्हैया कुमार का यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कई स्तरों पर उपयोग करना चाहती है.
मूल रूप से बिहार से ताल्लुक रखने वाले कन्हैया जेएनयू में कथित तौर पर देशविरोधी नारेबाजी के मामले में गिरफ्तारी के बाद सुर्खियों में आए थे. वह पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ भाकपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े थे, हालांकि वह हार गए थे. दूसरी तरफ, दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जिग्नेश गुजरात के वडगाम विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक हैं.