दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल के हटने के साथ ही इस पद के तीन शीर्ष दावेदारों में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल शामिल हैं.
कई सार्वजनिक नीति के मुद्दों पर सरकार का चेहरा बने कांत 1980 बैच के केरल कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं, जबकि सुनील अरोड़ा, जो दिसंबर 2018 से अप्रैल 2021 तक सीईसी थे, 1980 बैच के राजस्थान कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं. वह केंद्रीय कौशल विकास सचिव और सूचना एवं प्रसारण सचिव रहे हैं.
पटेल लक्षद्वीप, दमन और दीव के प्रशासक हैं. उन्हें शीर्ष पसंद माना जा रहा है, लेकिन सूत्रों का यह भी कहना है कि दक्षिण भारत के किसी भाजपा राजनेता को नियुक्त किया जा सकता है.
पटेल ने 2010 में गुजरात में नरेंद्र मोदी सरकार में गृह राज्यमंत्री के रूप में भी काम किया है. उनका लक्षद्वीप में एक विवादास्पद कार्यकाल रहा है. उन्होंने स्थानीय लोगों के विरोध को देखते हुए पर्यटकों को शराब परोसने की अनुमति दी थी.
दिल्ली में तीन एमसीडी के एकीकरण के बाद आने वाले निकाय चुनावों को टाल दिया गया था और अब नगर निकाय उपराज्यपाल के अधीन आ जाएगा, इसलिए एक व्यक्ति जो मौजूदा अतिक्रमण विरोधी अभियान को सुनिश्चित करेगा, उसे नियुक्त किया जा सकता है.
एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश) कैडर के 1969 बैच के आईएएस अधिकारी बैजल ने 31 दिसंबर, 2016 से 18 मई, 2022 तक पांच साल और चार महीने की अवधि के लिए दिल्ली के 21वें उपराज्यपाल के रूप में कार्य किया. उपराज्यपाल के रूप में वह कई मुद्दों पर मुख्यमंत्री केजरीवाल के साथ उनकी अनबन चलती रही. बैजल ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान केंद्रीय गृह सचिव के रूप में भी काम किया था.