वॉशिंगटन|……. पिछले 6 महीने से भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध के बीच अमेरिका ने भारत के साथ संबंध मजबूत करने पर जोर दिया है.
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने शुक्रवार को चीन के प्रति चेतावनी देते हुए भारत से घनिष्ठ संबंधों पर का आग्रह किया है.
माना जा रहा है कि यह दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच कूटनीति की सुगबुगाहट है. पोम्पिओ ने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों के साथ हुई बैठक में के बारे में कहा कि ‘उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका का अपना सहयोगी और इस लड़ाई में भागीदार बनाने की आवश्यकता है.
‘ पोम्पिओ ने रेडियो जॉकी लैरी ओ’कॉनर को बताया, ‘चीन ने अब उत्तर में भारत के खिलाफ बड़ी ताकतों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया है. दुनिया जाग गई है.
धारा बदल रही है और राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने अब एक गठबंधन बनाया है जो इस खतरे को पीछे ढकेलेगा.’
टोक्यो बैठक के बाद, पोम्पियो भारतीय समकक्षों के साथ वार्षिक वार्ता के लिए रक्षा सचिव मार्क ओशो के साथ नई दिल्ली जाएंगे. विदेश विभाग के उप सचिव स्टीफन बेजगन भी बैठक की तैयारी के लिए अगले सप्ताह भारत की यात्रा करेंगे.
चीन से तनाव बावजूद, भारत इतिहास में ‘रणनीतिक स्वायत्तता ‘के सिद्धांत को अपनाते हुए बाहरी शक्तियों के साथ औपचारिक गठजोड़ से दूर रहा है.
चीन के साथ तनाव के बारे में कंजरवेटि फाउंडेशन से पूछे जाने पर, संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के राजदूत, तरनजीत सिंह संधू ने जोर देकर कहा कि ‘एशियाई शक्तियों के ऐतिहासिक संबंध के कराण दो नोंएक-दूसरे के विद्वानों का स्वागत करते थे.
संधू ने कहा कि अमेरिका-भारत के संबंध तेजी से बढ़ रहे हैं और ‘इस संबंध में चीन की तुलना में व्यापक दृष्टिकोण है.’
उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ‘भारत में पोम्पिओ और एस्पर की यात्रा के दौरान रक्षा संबंधों को बढ़ाने पर चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात पर जोर दूंगा कि हमारे रक्षा सहयोग में बड़ी क्षमता है.