आने वाले समय में युद्ध के बदलते स्वरूप एवं तरीकों को देखते हुए भारतीय सेना खुद का तैयार कर रही है. परंपरागत युद्ध के साथ-साथ सेनाओं को साइबर एवं स्पेस युद्ध के लिए भी तैयार रहना होगा.
परंपरागत युद्ध शैली के साथ-साथ सेना ने युद्ध के आधुनिक एवं तकनीक अधारित युद्ध कौशलों को अपनाया है. सेना दिवस के मौके पर भारतीय सेना ने शुक्रवार को अपने ‘स्वार्म डोन सिस्टम’ का शानदार प्रदर्शन किया.
सेना के मानवरहित 75 ड्रोन ने झुंड में अपने लक्ष्यों (टैंक, हेलिपैड्स, ईंधन स्टेशन) पर हमला बोलकर अपने मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. सेना ने पहली बार अपनी इस आधुनिक युद्धकला का प्रदर्शन किया है.
इस तकनीकी के जरिए सेना ने बताया है कि वह भविष्य के स्पेस एवं साइबर युद्ध के लिए खुद को तैयार कर रही है. सेना का ‘स्वार्म डोन सिस्टम’ आधुनिक तकनीक पर आधारित ऐसा ही कॉम्बैट रूप है.
युद्ध के समय में 75 या उससे अधिक ड्रोन का समूह एक साथ दुश्मन के ठिकानों पर हमला बोल सकता है उसे तहस-नहस कर सकता है. सेना के ये ड्रोन दुश्मन के इलाके में 50 किलोमीटर अंदर दाखिल होकर तबाही मचा सकते हैं. एक साथ झुंड में हमला बोल ये ड्रोन दुश्मन को संभलने का मौका नहीं देंगे.
आधुनिक तकनीक आधारित युद्ध प्रणालियां भविष्य के युद्ध की रूपरेखा बदल रही हैं. ड्रोन का इस्तेमाल हमला बोलने के अलावा युद्ध के समय दुर्गम जगहों पर हथियार और रसद पहुंचाने में भी किया जा सकता है.
इस तरह की ड्रोन प्रणाली उस समय काफी अहम साबित होती है जब दुर्गम एवं पहाड़ी इलाकों में तैनात जवानों तक हथियार और रसद पहुंचाना मुश्किल होता है. सेना का ये कहना है कि ‘स्वार्म ड्रोन सिस्टम’ में शामिल 75 ड्रोन एक बार में 600 किलोग्राम सामग्री की आपूर्ति कर सकते हैं. ये दुर्गम इलाकों में जोखिम के खतरे को भी कम करते हैं.
सेना ने ‘स्वार्म ड्रोन सिस्टम’ पर पिछले साल अगस्त में काम करना शुरू किया. सेना इस तकनीक पर न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नॉलजी के साथ मिलकर काम कर रही है. सेना की योजना इस सिस्टम की तकनीक उन्नतकर ड्रोन की संख्या 75 से बढ़ाकर 1000 करने की है.
शुरू में पांच ड्रोन के साथ इस तकनीक को शुरू किया गया था लेकिन सेना दिवस के मौके पर इसे बढ़ाकर 75 किया गया. भारत हवा से लॉन्च किए जा सकने वाले एक ‘स्वार्म ड्रोन सिस्टम’ पर भी काम कर रहा है ताकि दुश्मन के लड़ाकू विमानों को हवा में ही मार गिराया जा सके.