मॉस्को|….. रूस ने यूक्रेन में जारी हमलों को रोकने के लिए चार शर्तें सामने रखी हैं. साथ ही मॉस्को ने कहा है कि अगर कीव इन शर्तों को मान लेता है, तो सैन्य कार्रवाई जल्द ही रोक दी जाएगी.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की घोषणा के बाद 24 फरवरी को शुरू हुए युद्ध को 12 दिन बीत चुके हैं, लेकिन दोनों देशों में अब तक किसी ठोस मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई है. सोमवार को रूस और यूक्रेन के बीच तीसरे दौर की वार्ता हुई. लेकिन इसका भी कोई नतीजा नहीं निकला.
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कॉव ने कहा कि मास्को की मांग है कि यूक्रेन सैन्य कार्रवाई रोक दे, संविधान में बदलाव करे, क्रीमिया को रूसी क्षेत्र माने और डोनेत्स्क और लुगांस्क को स्वतंत्र राज्यों के रूप में मान्यता दे.
खास बात है कि 24 फरवरी के बाद पहली बार रूस की तरफ से इतना मुखर बयान जारी किया है. रॉयटर्स से बातचीत में पेस्कॉव ने कहा कि यूक्रेन शर्तों के बारे में जानता है ‘और उन्हें कहा गया है कि यह सब एक पल में रुक सकता है.’
हालांकि, क्रेमलिन प्रवक्ता ने इस बात पर जोर दिया कि रूस यूक्रेन पर आगे कोई क्षेत्रीय दावा नहीं कर रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि यह ‘सच नहीं’ है कि वे कीव की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हम यूक्रेन में डिमिलिटराइजेशन (विसैन्यीकरण) को पूरा कर रहे हैं.
हम इसे पूरा करेंगे. लेकिन मुख्य बात यह है कि यूक्रेन अपनी सैन्य कार्रवाई रोके. उन्हें अपनी सैन्य कार्रवाई रोकनी चाहिए और कोई गोली नहीं चलाएगा.’
रूस ने उत्तर, पूर्व और दक्षिण से यूक्रेन पर हमला किया है. इस दौरान कीव, खारकीव और मरियुपोल खासे प्रभावित हुए हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे बड़ा शरणार्थी संकट देखा गया है. इसके चलते दुनिया के कई देशों ने रूस के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की है. मॉस्को पर अमेरिका समेत कई देशों ने कुछ प्रतिबंध लगा दिए हैं.
भाषा के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कहा है कि रूस के आक्रमण की शुरुआत से अबतक यूक्रेन में 406 आम नागरिकों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है. कार्यालय ने कहा कि इसके अलावा रविवार की मध्यरात्रि तक 801 लोगों के घायल होने की भी पुष्टि हुई है.
मानवाधिकार कार्यालय ने कहा कि वह इस संबंध में सख्त कार्यप्रणाली का उपयोग करता है और पुष्टि होने जाने के बाद ही हताहतों के बारे में जानकारी देता है. कार्यालय ने कहा कि विशेष रूप से सरकार नियंत्रित क्षेत्रों में हताहतों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक हो सकती है.