पूरे देश में शायद ही ऐसा कोई किचन होगा, जिसमें हींग का इस्तेमाल नहीं होता होगा. यहां तक कि पेट दर्द जैसी समस्या में इसे दवा की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि हर घर के लिए इतने काम की चीज हींग भारत में उगाई ही नहीं जाती है.
अब तक जितनी भी हींग भारत में इस्तेमाल होती थी, उसे विदेश से आयात किया जाता था, लेकिन अब सब कुछ बदलने वाला है. अब पहली बार देश में ही हींग उगाई जाएगी.
सीएसआईआर और इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी , पालमपुर ने पहली बार देश में ही हींग उगाने का काम शुरू किया है. सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल डॉ. शेखर मांडे कहते हैं कि हींग उगाने के लिए 2016 से ही रिसर्च की जा रही है.
हींग सिर्फ लद्दाख और लाहौल स्पीति जैसी ठंडी जगहों पर पैदा होती है. इसके साथ कुछ और भी भौगौलिक परिस्थितियों का ध्यान रखना होता है. अब तक हींग अफगानिस्तान और ईरान जैसे देशों से आयात की जाती थी.
इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर संजय कुमार ने लाहौल और स्पीति के एक गांव कवारिंग में हींग उगाने की पहल की है, जो हिमाचल प्रदेश का एक ठंडा और सूखा जिला है.
भारत में पूरी दुनिया की करीब 40 फीसदी हींग की खपत होती है. संजय कुमार कहते हैं कि भारत में हींग की खपत बहुत अधिक है, लेकिन इसे भारत में उगाया नहीं जाता है. अभी तक हम विदेशों पर हींग के लिए निर्भर हैं.
अफगानिस्तान, ईरान और उजबेकिस्तान के करीब 600 करोड़ रुपये की 1200 मीट्रिक टन हींग का आयात किया गया है. अब इसे भारत में उगाने के लिए करीब 5 हेक्टेयर जमीन पर कोशिश चल रही है.