नेशनन कॉन्फ्रेंस के सुप्रीमो फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू में ‘ग्रुप 23’ के नेताओं की जुटान और उनकी पेशेबंदी देखने के बाद ने कांग्रेस को सलाह दी है. अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि ‘विभाजनकारी तत्वों’ को जवाब देने के लिए कांग्रेस को अपना घर व्यवस्थित रखना और एकजुट रहना है चाहिए.
जम्मू में गत शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस आलाकमान से असंतुष्ट नेता एकत्रित हुए. इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी कमजोर होती दिख रही है.
राज्यसभा में आजाद को दोबारा नहीं भेजा
उन्होंने गुलाम नबी आजाद को दोबारा राज्यसभा के लिए नामित न किए जाने पर भी सवाल उठाए. इस कार्यक्रम में सोनिया-राहुल के पोस्टर नहीं थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भी कहा कि पार्टी कमजोर हो रही है. दोनों नेताओं ने कहा कि वे पार्टी को मजबूत होता देखना चाहते हैं और इसके लिए वे काम करेंगे. सिब्बल ने तो यहां तक कह डाला कि हम हैं तभी कांग्रेस है.
मैं कांग्रेस को मजबूत होते देखना चाहता हूं-फारूक
‘ग्रुप 23’ की इस पेशेबंदी को कांग्रेस आलाकमान के समक्ष एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. कांग्रेस में गुटबंदी बढ़ती देख यूपीए के सहयोगी फारूक आगे आए और उन्होंने कहा, ‘मैं कांग्रेस पार्टी को मजबूत होते देखना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि पार्टी एकजुट होकर देश के विघटनकारी तत्वों से लड़ाई लड़े. कांग्रेस को एकजुट और मजबूत होना होगा. यह देश की 150 साल पुरानी पार्टी है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘राहुल गांधी क्या कह रहे हैं और जी-23 के नेता क्या कह रहे हैं…मुझे इस पर प्रतिक्रिया क्यों देनी चाहिए? मुझे इन लोगों से क्या लेना-देना है? अपना घर ठीक रखना उन लोगों की जिम्मेदारी है.’
पार्टी के कामकाज पर असंतोष जताते हुए 23 नेताओं ने लिखा था पत्र
पिछले साल कांग्रेस नेतृत्व पर असंतोष जताते हुए पार्टी के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा थाी. इस पत्र में पार्टी के कामकाज पर सवाल उठाते हुए पार्टी अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द करने की मांग की गई थी. इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में सिब्बल, आजाद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, राजबब्बर सहित कई नेता शामिल हैं. पश्चिम बंगाल, असम सहित पांच राज्यों के नतीजे 2 मई को आएंगे. समझा जाता है कि इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन खराब होने पर यह समूह नेतृत्व में परिवर्तन के लिए दबाव बना सकता है.
नए सिरे से पार्टी की कमान संभालना चाहते हैं राहुल
कांग्रेस में यह सब कुछ ऐसे समय हो रहा है जब राहुल गांधी पार्टी की कमान नए सिरे से संभालने की कवायद में जुटे हैं. नए साल के मौके पर अपनी विदेश यात्रा के बाद वह सोशल मीडिया से लेकर अपनी यात्राओं के जरिए लगातार सक्रिय हैं और मोदी सरकार पर हमला कर रहे हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी किसान आंदोलन एवं कानून व्यवस्था को लेकर यूपी एवं केंद्र सरकार पर हमलावर रही हैं. चुनावी रणनीतिकार मानते हैं कि पश्चिम बंगाल और असम में कांग्रेस के अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद कम है. इन दोनों राज्यों में बहुत हद तक सहयोगी दलों पर निर्भर है. केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में कांग्रेस की संभावनाएं ज्यादा हैं, इसलिए राहुल गांधी दक्षिण भारत में ज्यादा सक्रिय हैं.