कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कमेटी और अन्य मांगें सरकार की ओर से मान लेने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है. ऐसे में किसानों ने दिल्ली बॉर्डर को खाली करना शुरू कर दिया है.
करीब 13 महीने बाद किसान दिल्ली बॉर्डर से घर लौट रहे हैं. ऐसे में दिल्ली की सीमाओं पर हलचल बढ़ गई है. शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर अतिरिक्त ट्रैक्टर ट्रॉली भी देखने को मिली है.
अधिकांश किसान शनिवार सुबह करीब 9 बजे से अपने घरों की ओर लौटना शुरू होंगे. वहीं किसानों का कहना है कि यूपी गेट स्थित आंदोलनस्थल को 15 दिसंबर तक पूरी तरह से खाली कर दिया जाएगा. दिल्ली की सीमाओं पर अभी जो ट्रक आएं हैं वो खाली थे, लेकिन बाद में वो टेंट, कपड़े और खाने से भरकर लौटे.
किसानों ने कहा कि वे अराजकता से बचने के लिए शनिवार की सुबह एक बार में नहीं निकलेंगे और कुछ क्षेत्र को खाली करने के लिए रुके रहेंगे. इस बीच अन्य लोगों ने कहा कि उन्हें और ट्रैक्टर ट्रॉलियों के आने का इंतजार करना होगा.
अमृतसर के हरपाल सिंह ने कहा, ‘बड़े टेंटों को हटाने में एक या दो दिन लगेंगे और हमें अपना सामान वापस लेने के लिए कम से कम दो ट्रकों की जरूरत होगी.’ उन्होंने कहा कि उनके गांव के लोग पहले ही दिल्ली के लिए निकल चुके हैं.
सिंघु बॉर्डर पर प्रबंधक समिति के सदस्य भजन सिंह ने कहा कि किसानों को निर्देश दिया गया था कि वे शुक्रवार को ही ट्रकों में अपना अधिकांश सामान भेजने की कोशिश करें, शनिवार सुबह ट्रैक्टर और ट्रकों पर एक संयुक्त मार्च निकाला जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘अपना सामान पैक करने, तंबू हटाने और शनिवार की तैयारी करने के लिए हमारे लिए एक अतिरिक्त दिन था. जबकि हममें से अधिकांश लोग जाने में सक्षम होंगे, इस क्षेत्र को पूरी तरह से साफ करने में एक या दो दिन लग सकते हैं.’
उनका कहना है कि हम सभी एक साथ यहां से नहीं निकलेंगे, क्योंकि इससे अराजकता उत्पन्न हो सकती है, लेकिन ट्रक नियमित अंतराल पर निकलेंगे. अंतिम लक्ष्य 13 दिसंबर को स्वर्ण मंदिर पहुंचना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को घोषणा की थी कि उनकी सरकार विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस ले लेगी और इसके बाद संसद में उन्हें 29 नवंबर को निरस्त कर दिया गया. एसकेएम ने गुरुवार को केंद्र से एक अंतिम पत्र पर हस्ताक्षर किए जिसमें महत्वपूर्ण कदम आगे थे.
पंजाब के सरहिंद के कुलतार सिंह ने कहा कि हमारा अधिकांश सामान पैक कर दिया गया है और केवल कुछ मुट्ठी भर बड़े तंबू बरकरार रखे गए हैं, ताकि लोग वहां रात सो सकें. कई सौ किलो में मौजूद भोजन अब ट्रकों में लाद दिया गया है.