किसान आंदोलन का 1 साल: गाजीपुर एवं सिंघू बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपने प्रदर्शन के एक साल पूरे होने पर गाजीपुर एवं सिंघू बॉर्डर पर किसान बड़ी संख्या में जुटे हैं. इनमें महिलाएं भी शामिल हैं.

किसान संगठनों का एक वर्ष का आंदोलन ऐसे समय में पूरा हुआ है जब सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है. गत 19 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया. इन कानूनों को वापस लेने के प्रस्ताव पर कैबिनेट की भी मुहर लग चुकी है.

अगले साल की शुरुआत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन चुनावों से ठीक पहले सरकार ने किसानों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है. हालांकि, किसान संगठन अपना आंदोलन वापस लेने के लिए तैयार नहीं हैं. किसान संगठनों की मांग है कि सरकार को एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के लिए कानून बनाना चाहिए. किसान संगठनों ने एमएसपी सहित छह मांगें सरकार को भेजी हैं. इन मांगों पर सरकार ने अभी कोई फैसला नहीं किया है.

गाजीपुर बॉर्डर पर पीलीभीत जिले के किसान कवरवीर सिंह ने कहा, ‘पिछले एक साल में प्रदर्शन के दौरान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन करते हुए प्रतिदिन करीब दो किसानों की जान गई है. आने वाली पीढ़ी यह समझेगी कि कैसे किसानों ने खेती और अपनी जमीन बचाई.

हालांकि, इतने वर्षों के बाद भी जमीनी हकीकत बदली नहीं है. डीजल, खाद-बीज के दाम बढ़ते जा रहे हैं. अब हमें हरित क्रांति के नफे-नुकसान का पता चल रहा है. फसलों का सही दाम मिलने पर ही किसान तरक्की कर पाएंगे और उन्हें कर्ज से मुक्ति मिल पाएगी. इसलिए अब हम एमएसपी पर कानून बनाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.’

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