गुरुवार को किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई का असर हुआ है. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर को खाली करना शुरू कर दिया है.
किसान वहां से अपने ट्रैक्टर-ट्राली और टेंट हटा रहे हैं. तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसान पिछले नौ महीने से यहां धरने पर बैठे थे.
किसानों के प्रदर्शन की वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बाधित था. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान यहां से दिल्ली जाएंगे.
उन्होंने कहा कि ‘हमने रास्ता नहीं रोका, हम रास्ता खोल रहे हैं.’ दिल्ली में कानून बनाने वाले लोगों के आवास के पास किसान धरना देंगे.
किसान आंदोलन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि यद्यपि किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन वे अनिश्चितकाल तक सड़क पर आवागमन रोक कर नहीं रख सकते. शीर्ष अदालत ने सड़क से उन्हें हटाए जाने की मांग वाली अर्जी पर जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है.
कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई सात दिसंबर को करेगा. तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर किसान संगठन दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं. उनके इस प्रदर्शन का करीब एक साल होने वाला है.
सुप्रीम कोर्ट नोएडा के एक निवासी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस अर्जी में प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सड़कों से हटाने की मांग की गई है. कोर्ट ने कहा, ‘अंतत: इसका कोई हल निकाला जाना है. हम किसानों के प्रदर्शन के खिलाफ नहीं हैं लेकिन सड़क को बंद नहीं किया जा सकता.
‘कोर्ट इसके पहले भी किसान प्रदर्शन के दौरान राजधानी की सीमा पर सड़क बाधित किए जाने पर किसान संगठनों के प्रति अपनी नाराजगी जता चुका है. दो न्यायाधीशों की पीठ की अगुवाई करने वाले जस्टिस एसके कौल ने कहा, ‘शिकायत का समाधान न्यायिक रूप से, प्रदर्शन अथवा संसदीय बहस से किया जा सकता है लेकिन राजमार्ग को हमेशा के लिए कैसे बंद किया जा सकता है? यह कहां खत्म होगा?’