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कमजोर होने लगा किसान आंदोलन का समर्थन, दीप-लक्खा सिधाना के खिलाफ FIR

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नई दिल्ली| गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले सहित राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा एवं उपद्रव की घटना ने किसान आंदोलन का समर्थन कम होने लगा है.हिंसा से आहत होकर किसान संगठन आंदोलन से खुद को अलग करने लगे हैं.हरियाणा के धारूहेड़ा में करीब 45 दिनों से धरने पर बैठे किसानों ने धरनास्थल खाली कर वापस शाहजहांपुर लौट आए हैं.

बुधवार को ‘ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी’ और चिल्ला बॉर्डर पर धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने अपना धरना वापस ले लिया.गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के सिलसिले में राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव और मेधा पाटकर सहित 37 किसान नेताओं के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज हुई है.दिल्ली पुलिस ने इनके खिलाफ दंगा, आपराधिक षड्यंत्र, हत्या का प्रयास सहित भादंसं की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है.

तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को बागपत पुलिस ने हटा दिया है.बागपत के एडीएम अमित कुमार सिंह ने बताया कि एनएचएआई ने मार्ग से किसानों को हटाने का अनुरोध किया था क्योंकि प्रदर्शन की वजह से उसके निर्माण कार्य में देरी हो रही थी.प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्वक वहां से हटा दिया गया है.

लाल किले पर हिंसा एवं उत्पात मामले में दिल्ली पुलिस ने पंजाबी अभिनेता एवं गायक दीप सिद्धू और गैंगस्टर से सोशल एक्टिविस्ट बने लक्खा सिधाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है.दिल्ली पुलिस का कहना है उसने इन दोनों के खिलाफ सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने सहित आईपीसी की अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया है.

पुलिस का कहना है कि हिंसा माममले में सिद्धू की संलिप्तता उजागर हुई है. अपने खिलाफ केस दर्ज होने के बाद सिद्धू ने रात के दो बजे अपने फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट किया है.इस पोस्ट में उसने कहा है कि किसान नेताओं ने वादा किया था कि वे दिल्ली की तरफ मार्च करेंगे.हमने जब मार्च शुरू किया तो तय मार्ग पर केवल तीन हजार लोग थे बाकी सभी लाल किला की तरफ रवाना हो गए.

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