सुप्रीम कोर्ट के किसी कानून पर अंतरिम रोक लगाने के बाद भी किसान अभी ज्यादा खुश नजर नहीं आ रहे हैं, लेकिन फिलहाल केंद्र सरकार को मिली करारी हार पर जरूर खुश हैं. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अभी किसानों का आंदोलन जारी रहेगा.
इसी बीच, 30 लाख सदस्यों वाले भारतीय किसान संघ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमेटी बनाने का समर्थन किया है. पर कृषि कानूनों को अमल में लाए जाने पर रोक लगाने का विरोध किया है. यहां हम आपको बता दें कि किसान लंबे वक्त से सरकार के साथ बात कर रहे थे. लेकिन नतीजा नहीं निकल रहा था, साथ ही किसान ऐसा संदेश नहीं देना चाहते थे कि वो सरकार के सामने झुक गए हैं.
अब जब अदालत ने इसमें दखल दिया है तो कमेटी की रिपोर्ट और अदालत के आदेश के हिसाब से आंदोलन अंत की ओर बढ़ सकता है. ऐसे में सरकार के दबाव में आए बिना भी किसान अपना आंदोलन खत्म कर सकते हैं. दूसरी ओर कोर्ट ने भी आज के फैसले में किसानों को भी कुछ मांगें मानने पर मजबूर कर दिया. किसान संगठन लंबे वक्त से कानून वापसी की अपील कर रहे हैं, सरकार के संशोधन और कमेटी के प्रस्ताव को वो ठुकरा चुके थे.
लेकिन अब जब सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से कमेटी बनाने और हल निकालने की बात कही है तो किसान संगठनों को अपनी जिद छोड़कर कमेटी के सामने जाना ही होगा. गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में सरकार ने तीन कृषि कानून संसद से पास कराए थे. 22 से 24 सितंबर के बीच राष्ट्रपति ने इन कानूनों पर मुहर लगा दी थी.
किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं, कुछ वकीलों ने भी इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनाैती दी थी. इसी पर मंगलवार को शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 4 विशेषज्ञों की जो कमेटी बनाई है, उसमें कोई रिटायर्ड जज शामिल नहीं है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार