देश में 2,100 ऐसी राजनीतिक पार्टियां हैं जिन्हें पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की सूची में डाला गया है. अब इन दलों पर कड़ी कर्रवाई करने की तैयारी की जा रही है.
इनमें से तीन चौथाई से ज्यादा दलों ने योगदान रिपोर्ट, वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट और चुनाव में हुए खर्च से जुड़ी रिपोर्ट, पता बदलने की जानकारी संबंधी संवैधानिक जरूरतों का पालन नहीं किया है.
एक तरह से इन दलों ने किसी भी तरह की रिपोर्ट दाखिल नहीं की है. सूत्रों का कहना है कि ऐसी गैरमान्यता प्राप्त पार्टियों के खिलाफ जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 29 के तहत ग्रेडिंग की कार्रवाई शुरू की गई है.
एक अंग्रेजी अखबार ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि 2001 में इन पार्टियों की संख्या 694 थी, जो 2021 में बढ़कर 2100 तक पहुंच गई. हालांकि 2019 के चुनाव में महज 623 पार्टियों ने ही हिस्सा लिया था. अब इन पार्टियों को अपंजीकृत करने के लिए सरकार के फैसले का इंतजार है.
चुनाव आयोग ने जारी किए गए अपने निर्देशों में कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त के पदभार ग्रहण करने के कुछ दिनों के अंदर ही ऐसी 87 पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी के बारे में सूचना मिली थी. इसके बाद जांच में नाम और पता सत्यापित नहीं किया जा सका. अब उन्हें गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों के रजिस्टर से हटा दिया जाएगा.
ऐसे दल जिनके नाम सूची में हैं, वे 30 दिनों के अंदर संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास मौजूदा और वर्षवार योगदान की रिपोर्ट, ऑडिट अकाउंट के साथ बैंक लेनदेन की अधिकृत हस्ताक्षर की कॉपी के साक्ष्य जमा कर सकते हैं.
ऐसी पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों की अलग-अलग सूची सीईओ के साथ साथ (सीबीडीटी) को भी भेजी जाएगी. चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे ने अपने आदेश में कहा कि अगर कोई भी दल अपने वैधानिक दायित्वों को पूरा करने में विफल पाया जाता है तो परिणामस्वरूप 1968 के प्रतीक आदेश के तहत तमाम लाभों से वंचित करते हुए भविष्य में आम चुनाव चिह्न जारी नहीं किया जाएगा.
तीन ऐसी पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियां सामने आई हैं जिन पर प्रथम दृष्टया गंभीर आर्थिक अनियमितता जैसे फर्जी दान रसीद बनाना, फर्जी कंपनी का गठन, टैक्स में हेराफेरी जैसे मामले पाए गए हैं. चुनाव आयोग का कहना है कि वह आवश्यक कानूनी और आपराधिक कार्रवाई के लिए राजस्व विभाग के पास इसे भेजेगा.
साभार न्यूज-18