दिल्ली की शराब नीति मामले में मनीष सिसोदिया को कोर्ट ने सात दिनों की ईडी रिमांड पर शुक्रवार (10 मार्च) को भेज दिया. ईडी ने सुनवाई के दौरान सिसोदिया की 10 दिनों की हिरासत मांगते हुए कहा था कि घोटाला आबकारी नीति का मसौदा तैयार करने साथ शुरू हुआ, जिसे सिसोदिया और अन्य ने बनाया था. इस दौरान सिसोदिया के वकील ने ईडी का कड़ा विरोध किया.
वहीं सीबीआई की तरफ से की गई गिरफ्तारी मामले में जमानत पर सुनवाई 21 मार्च को होगी. बता दें कि सिसोदिया को सीबीआई ने दिल्ली की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं के मामले में 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था. इसके बाद ईडी ने इसी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में तिहाड़ जेल में सिसोदिया से पूछताछ की और गुरुवार (9 मार्च) को उन्हें अरेस्ट कर लिया.
ईडी ने कहा कि आप नेता मनीष सिसोदिया के खिलाफ गवाह और अन्य सबूत हैं. सिसोदिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले से संबद्ध गठजोड़ का हिस्सा थे. ईडी ने आगे दावा किया कि सिसोदिया ने फोन से दूसरे सबूत नष्ट किए. फिर उन्होंने दूसरे के खरीदे गए फोन का इस्तेमाल किया. हमें बार-बार गलत बयान दिए. ऐसे में पूरी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए सिसोदिया का अन्य लोगों से आमना-सामना कराना होगा. इस पर सिसोदिया क वकील ने कहा कि नीति बनाना कार्यपालिका का काम है, जिसे कई चरण से गुजरना पड़ता है.
ईडी ने क्या दावा किया?
ईडी ने अदालत में कहा कि शराब नीति में होलसेल को फायदा पहुंचाकर अवैध कमाई की गई. होलसेल का बिजनेस कुछ निजी लोगों को देकर एक्सपर्ट कमेटी की राय को ना मानते हुए 12 फीसदी प्रॉफिट मार्जिन दिया गया, जो सिर्फ 6 प्रतिशत होना चाहिए था. ईडी ने दावा किया कि उसके पास इसको लेकर सबूत है कि यह सब सिसोदिया के कहने पर किया गया. आरोप लगाया कि शराब की बिक्री का लाइसेंस देने के लिए तय व्यवस्था का भी उल्लंघन हुआ. इसमें चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाया गया. मामले की जांच में सिसोदिया सहयोग नहीं कर रहे हैं.