बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने ब्लैकमेलिंग के आरोपों में घिरी महिला के अपनी बच्ची का डीएनए टेस्ट कराने पर सवाल खड़े किए हैं. इस पत्र के बाद हरकत में आई पुलिस अब डीएनए टेस्ट करने वाले चिकित्सकों समेत अन्य लोगों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है. पुलिस जल्द डीएनए करने वाले चिकित्सकों और लैब से जुड़े लोगों को नोटिस जारी कर पूछताछ करेगी.
भाजपा विधायक महेश नेगी की पत्नी रीता नेगी ने अल्मोड़ा निवासी महिला समेत चार लोगों पर नेहरू कालोनी थाने में ब्लैकमेलिंग का मुकदमा दर्ज दर्ज कराया है. उक्त प्रकरण में महिला ने भी विधायक पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है. महिला ने अपनी बच्ची तथा विधायक का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की है. महिला ने अपने बयानों में कहा था कि उन्होंने अपनी बेटी और पति का डीएनए मिलान कराया था जिसमें डीएनए मैच नहीं किया था.
इस मामले में बाल आयोग ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने इस मामले में डीआईजी अरुण मोहन जोशी को पत्र लिखकर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है. अध्यक्ष ने पत्र में कहा कि महिला ने बेटी को जन्म देने के बाद उसके पति के संदेह जताने पर डीएनए टेस्ट कराया था. कहा कि डीएनए टेस्ट बिना न्यायालय की अनुमति और सक्षम अधिकारी के आदेश के बिना नहीं किया जा सकता है.
कहा कि इस मामले में बिना न्यायालय के आदेश के शामली उत्तरप्रदेश के चिकित्सकों और डीएनए परीक्षण लैब ने डीएनए किया है. उन्होंने मामले की वास्तविकता जानने के लिए जांच को निर्देशित किया है. सीओ अनुज कुमार ने बताया कि बाल आयोग का पत्र मिला है. इस पत्र को जांच में शामिल किया गया है. जल्द ही चिकित्सकों समेत अन्य लोगों से भी पूछताछ होगी.
देहरादून. आयोग ने अंदेशा जताया है कि डीएनए रिपोर्ट फेक भी हो सकती है. कहा कि अवैधानिक रूप से डीएनए का परीक्षण जिन चिकित्सकों एवं लैब ने किया है वह संदेह के घेरे में है. जांच और पूछताछ से ही स्पष्ट होगा कि हकीकत क्या है.
साभार-लाइव हिंदुस्तान