दशहरा शुरू होते ही देश में त्यौहारी सीजन की शुरूआत हो गई है. दुर्गा पूजा के मुख्य आकर्षण होते हैं इसके शानदार पंडाल, विशेष रूप से बंगाल में यह काफी प्रसिद्ध हैं.
इन पंडालों को रचनात्मक श्रमिकों द्वारा तैयार किया जाता है जो अक्सर मौजूदा मामलों और ट्रेंडिंग मुद्दों को देखते हुए इन्हें तैयार करते हैं.
पूरे बंगाल सहित पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्सों में इन पंडालों के जरिए विभिन्न मुद्दों को भी दर्शाया जाता है. ऐसा ही एक पंडाल बंगाल के मुर्शिदाबाद में तैयार किया गया है जो लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच रहा है.
दरअसल सरहद पर चल रहे मौजूदा तनाव की झलक दुर्गा पंडालों में भी देखने को मिल रही है. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बनाए गया यह पंडाल चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की वजह से सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है.
यहां असुर की जगह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पुतला लगाया गया है जिसमें मां दुर्गा असुर ‘जिनपिंग’ का संहार करती हुईं दिख रही हैं.
इस साल कोरोना वायरस के चलते दुर्गा पूजा समारोह में भीड़ कम है लेकिन फिर भी पंडाल लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
सोशल डिस्टेसिंग के नियम भी आयोजकों और कारीगरों को पंडाल बनाने से नहीं रोक सके हैं. नवरात्रि के त्योहार में मां दुर्गा की पूजा होती है जो बुराई के प्रतीक राक्षस का वध करती है.
पिछले हफ्ते, कोलकाता में एक पंडा में लगे एक पुतले के माध्यम से प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला गया था.
कोलकाता के बेहाला इलाके में बारिशा दुर्गा पूजा समिति ने मां दुर्गा की मूर्ति की जगह पंडाल में प्रवासी मजदूरों की मूर्ति लगाई है और कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के संघर्षों को इस मूर्ति में दर्शाया गया है.
पंडाल में उन माताओं को दिखाया गया है, जो कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से अपने बच्चों को लेकर हजारों किलोमीटर पैदल यात्रा पर निकली थीं.