भारतीय सेना के लक्षित ऑपरेशनों से आतंकियों के मारे जाने और एनकाउंटर के दौरान आतंकियों को आर्त्मसमर्पण का मौका देने से कश्मीर में आतंकियों की नई भर्ती में अब कमी का रुझान है.
सुरक्षाबल इसे सकारात्मक मान रहे हैं. लेकिन यह भी मान रहे हैं कि इससे पाकिस्तान बौखला गया है और वह युवाओं को गुमराह करने के लिए नए हथकंडे अपना रहा है.
सुरक्षा बलों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि कश्मीर में पिछले साल की तुलना में इस बार स्थानीय स्तर पर आतंकियों की भर्ती में इजाफा हुआ है.
आशंका यहां तक जताई जा रही थी कि यह 2018 के रिकॉर्ड को तोड़ सकती है जब 214 युवा आतंकी बने थे.
लेकिन पिछले दो महीनों के दौरान सेना के लक्षित ऑपरेशनों में बड़े पैमाने पर आतंकियों का सफाया हुआ है और एनकाउंटर के दौरान नौ नए भर्ती हुए आतंकियों को सरेंडर करने का मौका दिया.
सेना के सूत्रों ने कहा कि मार्च आखिरी में लॉकडाउन लगने के दौरान उम्मीद के विपरीत कश्मीर में बड़े पैमाने पर स्थानीय युवकों की भर्ती हुई. लेकिन अगस्त के बाद इसमें गिरावट का रुझान है.
अक्तूबर मध्य तक के आंकड़ों के अनुसार, कुल 131 स्थानीय युवकों ने आतंक की राह चुनी. लेकिन अब तक राज्य में 189 आतंकी मारे गए हैं. इनमें ज्यादातर स्थानीय आतंकी थे और जो तीन-छह महीने के दरम्यान भर्ती हुए थे.