आज कुछ चर्चा ऐसी करेंगे जो मन को सुकून दे. बात उस जगह की होगी जहां आप भी बार-बार जाना पसंद करेंगे.
इस कोरोना महामारी की वजह से जितना तकलीफ और परेशान देशवासी चल रहे हैं उतना ही हमारी प्राकृतिक भी वीरान हो गई है.
कुछ पर्यटन स्थल ऐसे होते हैं जहां पर पर्यटकों के पहुंचने पर यह जगह खिलखिला उठती है.
ऐसे ही उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी में धीरे-धीरे रौनक लौटने लगी है। अब यहां पर लोगों के पहुंचने से यह घाटी महकने लगी है.
उत्तराखंड सरकार की ओर से अनलॉक-4 में प्रतिबंधों में छूट देने से पर्यटकों की आमद बढ़ने लगी है.
चारधाम यात्रा के साथ ही फूलों की घाटी आने वाले पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है।अभी देश में स्कूल-कॉलेज बंद ही चल रहे हैं ऐसे में पर्यटकों की अभी आवाजाही बनी हुई है.
फूलों की घाटी में हर रोज पर्यटक पहुंचने लगे हैं. बता दें कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों घाटी में हर साल हजारों पर्यटक आते हैं.
1931 में फ्रैंक स्मिथ और उनके साथी होल्डसवर्थ ने फूलों की घाटी की खोज की थी.
फ्रैंक एक ब्रिटिश पर्वतारोही थे. इसके बाद ये एक विश्व प्रसिद्ध मशहूर पर्यटन स्थल बन गया.
एक अगस्त को फूलों की घाटी को पर्यटकों के लिए खोला गया था
बता दें कि फूलों की घाटी गर्मी के महीने में पर्यटकों से गुलजार रहती है.
लेकिन इस बार यह घाटी महामारी और लॉकडाउन की वजह से कई महीने वीरान बनी हुई थी.
अब पिछले माह एक अगस्त को इसे आम पर्यटकों के लिए खोल दिए जाने के बाद यह पूरा क्षेत्र गुलजार होने लगा है.
यह फूलों की घाटी विदेशी और अन्य भारतीय पर्यटकों के लिए स्विट्जरलैंड के ट्यूलिप का एहसास कराती है.
यहां पर आकर लोग तरोताजा हो जाते हैं. पिछले दिनों पर्यटकों के लिए कोविड जांच की निगेटिव रिपोर्ट, होटल व होम स्टे में दो दिन ठहरने की बुकिंग का प्रतिबंध हटाने से उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है.
अगर आप यहां आना चाहते हैं तो पर्यटक आवास सुविधाओं के लिए फूलों की घाटी के बेस कैंप घाघरिया स्थित कई होटल, गेस्ट हाउस, होम स्टे और कैंप की बुकिंग करा सकते हैं.
बता दें कि अक्तूबर माह तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी फूलों की घाटी. आप भी कुछ समय निकालकर फूलों की घाटी पहुंचिए, मन को सुकून मिलेगा.
फूलों के प्रेमियों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है
फूलों की घाटी उत्तराखंड में गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है.
यह खूबसूरत घाटी विश्व धरोहर में भी शामिल है. इस जगह की खूबसूरती देखते ही बनती है.
आज हम आपको इस खूबसूरत जगह के बारे में बताएंगे.
उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित फूलों की घाटी 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है. 1982 में यूनेस्को ने इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया.
फूलों की घाटी बेहद खूबसूरत है. हिमाच्छादित पर्वतों से घिरी इस घाटी की सुंदरता देखते ही बनती है.
फूलों की घाटी में 500 से अधिक फूलों की प्रजातियां देखने को मिलती हैं.
बागवानी विशेषज्ञों और फूल प्रेमियों के लिए ये जगह स्वर्ग से कम नहीं है.
इस घाटी के नजारे देखते ही बनते हैं. फूलों की घाटी का वर्णन रामायण और महाभारत में भी मिलता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फूलों की घाटी ही वो स्थान है जहां से हनुमान जी लक्ष्मण जी के प्राण बचाने के लिए संजीवनी बूटी लाए थे.
कहा जाता है कि फूलों की घाटी में परियां निवास करती हैं.
परियों का निवास स्थान होने की वजह से लंबे समय तक यहां लोग जाने से कतराते थे.
इस घाटी में उगने वाले फूलों से दवाई भी बनाई जाती है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार