फेफड़ों के एक गंभीर रोग से जूझ रहे मरीज़ को हैदराबाद के एक अस्पताल में नई ज़िंदगी दी गई, जब डॉक्टरों ने उसके दोनों फेफड़े ट्रांसप्लांट कर दिए. रिज़वान अब तकरीबन रिकवर हो चुका है और उसे अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है.
सारकॉयडोसिस से जूझ रहे रिज़वान के दोनों फेफड़े पूरी तरह खराब हो चुके थे. सिर्फ ट्रांसप्लांट का ही विकल्प बचा था. उसकी सेहत खराब होती जा रही थी. हैदराबाद के कृष्णा इंस्टीट्यूट में उसका इलाज चल रहा था लेकिन नए फेफड़ों के इंतज़ार में दिन गुजरते जा रहे थे.
इस मुसीबत के साथ दोहरा संकट तब हुआ, जब फेफड़ों की बीमारी के साथ ही, रिज़वान कोरोना पॉज़िटिव भी था. डॉ. संदीप अटवार ने उसका इलाज किया, जब उसकी हालत बिगड़ रही थी. और इसी दरमियान एक संयोग ने नई उम्मीद दी.
रिज़वान को नई ज़िंदगी देने वाले डॉ. अटवार के मुताबिक रिज़वान के लिए फेफड़े कोलकाता से मिले, जब वहां मृत एक व्यक्ति के फेफड़े रिज़वान से मैच हुए. इसके बाद, कोलकाता से एयरलिफ्ट के ज़रिये फेफड़े हैदराबाद मंगाए गए.
फेफड़ों की सर्जरी में 24 साल का अनुभव रखने वाले डॉ. अटवार ने कहा कि यह बेहद उलझी हुई सर्जरी थी क्योंकि एक नहीं बल्कि दोनों ही फेफड़ों को ट्रांसप्लांट किया जाना था. यहां गलती की गुंजाइश नहीं थी. इसके बावजूद डॉक्टर ने इस तकरीबन असंभव काम को संभव कर दिखाया.
भारत में यह पहली बार है जब किसी मरीज़ के दोनों फेफड़ों का ट्रांसप्लांट किया गया है. अब डॉक्टर रिज़वान को अगले छह हफ्तों तक मॉनिटर करेंगे. डॉ. अटवार अपने करियर में 12 हज़ार से ज़्यादा सर्जरी को अंजाम दे चुके हैं, जिनमें फेफड़ों, दिल और आर्टिफिशियल ट्रांसप्लांट सर्जरी शामिल हैं.