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विशेष: पुडुचेरी में भी बेदी का विवादों ने पीछा नहीं छोड़ा, भाजपा ने चलाए ‘एक कमान से दो तीर’

किरण बेदी के जीवन में विवादों ने कभी पीछा नहीं छोड़ा. जहां-जहां किरण बेदी पहुंचती रहीं नए-नए विवाद जन्म लेते रहे. पुलिस सेवा के दौरान कड़क ऑफिसर के रूप में बेदी ने देश भर में खूब सुर्खियां बटोरीं.

इसके साथ ही तिहाड़ जेल में तैनाती के दौरान कैदियों के कल्याण के लिए जेल में नशामुक्ति अभियान चलाया और खेल, साहित्य के क्षेत्र में भी उनके योगदान की विदेशों में खूब सराहना की गई. इससे प्रभावित होकर उन्हें अंतरराष्ट्रीय ‘रेमन मैग्सैसे’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

जिससे बेदी की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराही गई. लेकिन राजनीति के मैदान में वह कामयाब न हो सकीं. किरण बेदी के नाम पर जहां देश की पहली महिला ऑफिसर होने का गौरव हासिल है वहीं सियासत में कामयाबी बेदी से हमेशा दूर ही रही. एक बार फिर पुडुचेरी में लेफ्टिनेंट गवर्नर उपरज्यपाल के पद से किरण बेदी को हटा दिया गया है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उपराज्यपाल किरण बेदी को हटाने का फैसला उस समय किया जब उनके कार्यकाल को चार महीने से भी कम रह गए थे. बेदी ने बुधवार सुबह ट्वीट करके अपने इस कार्यकाल के दौरान सभी के सहयोग पर धन्‍यवाद दिया है.

बेदी को उपराज्यपाल पद से उस वक्त हटाया गया है जब पुडुचेरी सरकार अल्पमत में आ गई है. वहीं केंद्र सरकार ने एक कमान से दो तीर चलाए हैं. किरण बेदी को हटाए जाने से एक तो कांग्रेस के पास जल्‍द होने वाले विधानसभा चुनावों में से एक मुद्दा कम हो गया.

दूसरा नई उप राज्‍यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन तमिलनाडु की हैं, पुडुचेरी की राजनीति में तमिलनाडु का काफी असर रहता है. इस ल‍िहाज से यह भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगा.

अपने कार्यकाल में उपराज्यपाल बेदी का पुडुचेरी की कांग्रेसी सरकार से मतभेद बने रहे, बेदी और मुख्यमंत्री वी नारायणसामी की लड़ाई सड़क तक आ गई थी. विदाई के साथ ही किरण बेदी का उपराज्यपाल के रूप में लंबे समय से चले आ रहे विवादित कार्यकाल का अंत हो गया.


शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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