कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तुलना अफगानिस्तान में सत्ता हासिल चुके तालिबान से की है. एक हफ्ते में यह दूसरी बार है, जब संघ की तुलना तालिबान से की गई है.
उन्होंने संघ प्रमुख डॉक्टर मोहन भागवत के पुराने बयान पर टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा था कि शादी समझौता है. इसके तहत महिलाएं घर की देखभाल और अन्य चीजों का ध्यान रखती हैं. जबकि, पुरुष के पास कामकाज और महिला की सुरक्षा का जिम्मा होता है. हाल ही में गीतकार जावेद अख्तर ने भी तुलना करने वाली टिप्पणी की थी.
दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘क्या तालिबान और आरएसएस के बीच कामकाजी महिलाओं को लेकर समानताएं हैं? ऐसा ही लगता है, जब तक मोहन भागवत जी और तालिबान अपने विचार नहीं बदलते.’
इसी हफ्ते कांग्रेस नेता ने आरोप लगाए थे कि संघ झूठ और गलतफहमियां फैलाकर हिंदुओं और मुसलमानों को बांट रहा है. आरएसएस प्रमुख भागवत के हिंदू-मुस्लिम का डीएनए एक है के बयान पर उन्होंने पूछा, ‘अगर ऐसा है, तो लव जिहाद जैसे मुद्दे क्यों उठ रहे हैं?’
पूर्व सीएम, गीतकार जावेद अख्तर के बचाव में भी उतरे थे. उन्होंने कहा था कि भारतीय संविधान व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आजादी देता है.
मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था, ‘मुझे नहीं पता कि उन्होंने ऐसा किस संदर्भ में कहा था, लेकिन हमारे संविधान ने हमें अपनी बात जाहिर करने का अधिकार दिया है.’ गीतकार ने 3 सितंबर को एक टीवी कार्यक्रम के दौरान तालिबान की तुलना आरएसएस से की थी.
उन्होंने कहा था, ‘जैसे तालिबान इस्लामिक स्टेट चाहता है, वैसे ही कुछ लोग हैं, जो हिंदू राष्ट्र चाहते हैं. इन लोगों की मानसिकता भी वैसी ही है. चाहे मुस्लिम हों, ईसाई हों, यहूदी हों या हिंदू हों.’ उन्होंने कहा था, ‘बिल्कुल, तालिबान बर्बर है और उनके काम निंदनीय हैं, लेकिन जो लोग आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल का समर्थन करते हैं, वे भी वैसे ही हैं.’
अख्तर ने यह भी कहा था कि उन्हें ‘औसत भारतीय की बुनियादी संवेदनशीलता पर पूरा भरोसा है.’ उन्होंने कहा था, ‘इस राष्ट्र में अधिकांश बहुत सभ्य और सहिष्णु हैं. इसका सम्मान किया जाना चाहिए. भारत कभी भी तालिबानी देश नहीं बनेगा.’