अहमदाबाद| गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में डीआईजी कुमाऊं नीलेश आनन्द भरणे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों सम्मानित हुए हैं. उन्हें पीएचडी अवार्ड से सम्मानित किया गया है. यह अवार्ड उन्हें ‘Comparative study of lie detection techniques in crime cases’ विषयक शोध के लिए दिया गया है.
इस मौके पर समारोह में प्रधानमंत्री ने पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की छवि बदलने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान पुलिस कार्मिकों ने मानवीय कार्य किए हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद, देश के सुरक्षा तंत्र में सुधार की आवश्यकता थी. एक धारणा विकसित की गई थी कि हमें वर्दीधारी कर्मियों से सावधान रहना होगा, लेकिन अब इस धारणा को बदला गया है.
उन्होंने कहा, देश के सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए तनाव मुक्त प्रशिक्षण गतिविधियां समय की आवश्यकता है. इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल भी मौजूद रहे. इधर प्रदेश के डीजीपी अशोक कुमार ने इस उपलब्धि के लिए श्री नीलेश को बधाई देते हुए कहा है कि उनके इस शोध का उपयोग पुलिसिंग के कार्यों में किया जाएगा.
आरआरयू का है राष्ट्रीय महत्व
राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) की स्थापना पुलिस, अपराध संबंधी न्याय और सुधारात्मक प्रशासन के विभिन्न अंगों में उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षित मानव शक्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए की गई थी. रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय को अपग्रेड करके राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय नाम से एक राष्ट्रीय पुलिस विश्वविद्यालय की वर्ष 2010 में स्थापना की गई.
यह विश्वविद्यालय राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है. अक्टूबर, 2020 से इसका संचालन शुरू किया गया. यह विश्वविद्यालय उद्योग से ज्ञान और संसाधनों का लाभ उठाकर निजी क्षेत्र के साथ तालमेल विकसित करेगा तथा पुलिस एवं सुरक्षा से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित करेगा.
राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) पुलिस विज्ञान और प्रबंधन, आपराधिक कानून और न्याय, साइबर मनोविज्ञान, सूचना प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सुरक्षा, अपराध जांच, रणनीतिक भाषाओं, आंतरिक रक्षा और रणनीति, शारीरिक शिक्षा और खेल, तटीय और समुद्री सुरक्षा जैसे पुलिस और आंतरिक सुरक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में डिप्लोमा से डॉक्टरेट स्तर तक शैक्षणिक पाठ्यक्रम प्रस्तुत करता है. वर्तमान में इन कार्यक्रमों में 18 राज्यों के 822 छात्र नामांकित हैं.