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गुजरात स्थित धौलावीरा यूनेस्की की वैश्विक धरोहर सूची में हुआ शामिल, पीएम ने जताई खुशी

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गुजरात स्थित हड़प्पा काल के शहर धौलावीरा को यूनेस्को ने अपने वैश्विक धरोहर के स्थलों में शामिल किया है. संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक संस्था ने मंगलवार को इसकी पुष्टि की. यूनेस्को ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर कहा, ‘ब्रेकिंग! धौलावीरा: हड़प्पा काल का शहर # इंडियाफ्लैग ऑफ इंडिया. इस शहर को यूनेस्को की वैश्विक धरोहर की सूची में शामिल किया गया है.

बधाई!’ भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) ने धोलावीरा की खोज 1967-68 में की. इसे हड़प्पाकाल के पांच सबसे बड़े स्थलों में शुमार किया जाता है. सिंधु-घाटी सभ्यता से जुड़ा स्थल पुरातत्विक लिहाज से काफी अहमियत रखता है.

धौलावीरा को उसके कालखंड के भव्य शहरों में शामिल किया जाता है. चीन के फूझोऊ में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी की 44वें सत्र के दौरान धौलावीरा और तेलंगाना के ककटिया रुद्रेश्वरा (रामप्पा) मंदिर को सूची में शामिल करने के बारे में फैसला हुआ. इन दो स्थलों के बाद वैश्विक धरोहरों की सूची में भारतीय स्थलों की संख्या बढ़कर 40 हो गई है.

धौलावीरा को धरोहर सूची में शामिल किए जाने पर पीएम मोदी ने खुशी जताई है. उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा कि उन्हें यह खबर सुनकर काफी प्रसन्नता हुई है. पीएम ने कहा है कि इस ऐतिहासिक स्थल पर लोगों को अवश्य जाना चाहिए.

देश को यह सम्मान मिलने पर केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, ‘भारत के गौरव में एक और उपलब्धि जुड़ गई है. वैश्विक धरोहरों की सूची में भारत सुपर-40 में शामिल हो गया है. साल 2014 के बाद वैश्विक धरोहरों में भारत के 10 नए स्थान जुड़े हैं.’

यूनेस्को का कहना है कि धौलावीरा दक्षिण एशिया के प्राचीन शहरों में शामिल है. यहां पर शहरी व्यवस्था को बेहतर तरीके से संरक्षित कर रखा गया है. इसे हड़प्पा काल के पांच बड़े शहरों में एक बताया जाता है. सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा यह शहर भारतीय पुरातत्व विभाग के लिए काफी अहमियत रखता है.

इस शहर की खोज 1968 में हुई. इस शहर की खास पहचान अपनी जल प्रबंधन व्यवस्था, बहु-स्तरीय सुरक्षा तंत्र सहित ढांचों के निर्माण में अत्यधिक पत्थरों के इस्तेमाल के लिए रही है.

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