दुविधा में: कोविड और आस्था के दबाव के बीच कांवड़ यात्रा शुरू करने को लेकर धामी ‘धर्मसंकट’ में

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोचा भी नहीं होगा कि उत्तराखंड की कमान संभालते ही ‘कांवड़ यात्रा’ उन्हें ‘धर्मसंकट’ में डाल देगी. एक तरफ कोविड-19 की तीसरी लहर है तो दूसरी ओर करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है, ऐसे में मुख्यमंत्री धामी फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि हरिद्वार में शिवभक्तों के लिए कांवड़ यात्रा शुरू करने का आदेश दे य न दें. वहीं ‘उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और पंजाब को उत्तराखंड सरकार के फैसले का बेसब्री से इंतजार है’.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो पिछले दिनों टेलीफोन पर बात करके धामी को उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा शुरू करने की ‘पहल’ भी की है. ‘बढ़ते दबाव को देखते हुए मुख्यमंत्री धामी ने यह मुद्दा दिल्ली पहुंचकर भाजपा हाईकमान के सामने भी उठाया, पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से राज्य में कांवड़ यात्रा शुरू करने को लेकर चर्चा भी की’ . पीएम मोदी और अमित शाह ने यह फैसला धामी के लिए ही छोड़ दिया.

लेकिन इसके बाद भी अभी तक यह तय नहीं हो पाया कि कांवड़ यात्रा होगी या नहीं. वहीं प्रदेश मुख्यालय में कई प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में तय किया गया था कि हरिद्वार में इस बार कांवड़ यात्रा नहीं होगी, बावजूद इसके कांवड़ यात्रा को लेकर अभी भी ‘सस्पेंस’ बरकरार है. ‘चार दिन दिल्ली प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री धामी को कई न्यूज चैनलों ने कांवड़ यात्रा शुरू करने को लेकर सीधे सवाल पूछे थे उस पर भी वह गोलमोल जवाब देतेेे रहे’.

‌’धामी ने कहा कि कांवड़ यात्रा आस्था की बात जरूर है, लेकिन लोगों की जिंदगी भी दांव पर नहीं लगाई जा सकती, सीएम ने कहा कि यह भगवान को भी अच्छा नहीं लगेगा कि कांवड़ यात्रा के कारण लोग कोविड से अपनी जान गंवा दें’. दिल्ली से मुख्यमंत्री देहरादून लौट आए हैं. दूसरी ओर उत्तराखंड की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने मुख्यमंत्री से कांवड़ यात्रा शुरू न करने की अपील की है.

आईएमए ने अपने पत्र में लिखा है कि तीसरी लहर देश में दस्तक देने वाली है. कोरोना की पहली लहर के बाद कोरोना गाइडलाइंस का पालन नहीं किया गया. जिसके चलते कोरोना की दूसरी लहर ने ज्यादा तबाही मचाही थी.

वहीं मंगलवार दोपहर देहरादून में एक कार्यक्रम के दौरान कांवड़ यात्रा को लेकर पूछे गए प्रश्न पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि कांवड़ यात्रा आस्था का विषय है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड मेजबान राज्य है लेकिन यहां जल लेने के लिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली से भी लोग आते हैं. इसलिए इन राज्यों से हम बातचीत कर रहे हैं. लेकिन हमारी पहली प्राथमिकता लोगों की जानमाल की सुरक्षा है.

यहां हम आपको बता दें कि ‘कुंभ मेले के दौरान सरकार की हुई आलोचना की वजह से इस बार मुख्यमंत्री कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते. लेकिन दुविधा ये है कि अगर कांवड़ यात्रा रोकी तो आस्था के नाम पर लोग नाराज हो सकते हैं और अगर यात्रा की अनुमति दे दी, तो कोरोना फैलने से पूरे प्रदेश की स्थिति बिगड़ने लगेगी और आखिर में उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा’. अब धामी के फैसले का शिव भक्तों को इंतजार है.

उल्लेखनीय है कि लगभग एक पखवाड़े तक चलने वाली कांवड़ यात्रा सावन महीने की शुरुआत से लेकर तकरीबन 15 दिन तक चलती है, जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के लाखों कांवड़िए गंगा का पवित्र जल लेने के लिए हरिद्वार में जमा होते हैं.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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