पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बनाए गए देवस्थानम बोर्ड को लेकर राज्य की सियासत में खूब हलचल मची. नवंबर, 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कैबिनेट बैठक में चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम गठन को मंजूरी दी थी.
10 दिसंबर को विधानसभा के पटल से पारित भी हो गया था और 15 जनवरी, 2020 को राजभवन से गजट नोटिफिकेशन हो गया था. बोर्ड में अध्यक्ष मुख्यमंत्री और उपाध्यक्ष धर्मस्व व संस्कृति मंत्री को बनाया गया था. हालांकि तीर्थ पुरोहितों ने तब ही इसका विरोध शुरू कर दिया था.
इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका तक दायर की, लेकिन उनके पक्ष में फैसला नहीं आया. उसके बाद 10 मार्च, 2021 को मुख्यमंत्री की कमान मिलने पर तीरथ रावत ने अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में बोर्ड के वजूद को लेकर पुनर्विचार का वादा किया था.
उन्होंने इसकी स्टडी भी शुरू करा दी थी लेकिन दो जुलाई, 21 को उनकी कुर्सी चली गई थी. बोर्ड के अधीन किए अन्य मंदिरों को लेकर भी उन्होंने पुनर्विचार का आश्वासन दिया था.
फिर इसी साल 4 जुलाई को पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की कमान संभाली. लेकिन मुख्यमंत्री धामी भी देवस्थानम बोर्ड को भंग करें या न करे, उलझे रहे . आखिरकार आज सीएम धामी के लिए इस बोर्ड को लेकर फैसले की घड़ी है.